बनासकांठा। गुजरात के बनासकांठा में 80 साल तक बिना पानी पिये और बिना खाना खाकर रहने वाले चुनरी वाले बाबा का निधन हो गया है. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अयोध्या से ताल्लुक रखने वाले प्रह्लाद जानी अपने भक्तों के बीच चुनरी वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे. उनका दावा था कि उन्होंने 11 साल की उम्र में अन्न और पानी का त्याग कर दिया था।
कुछ साल पहले डीआरडीओ ने चुनरी वाले बाबा पर रिसर्च भी किया था कि कैसे इतने साल कोई बिना खाये पिये जिंदा रह सकता है। डीआरडीओ के रिसर्च के पीछे का तर्क था कि किसी स्पेस मिशन में स्पेसक्राफ्ट के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाने पीने की व्यवस्था में ज्यादा वजन रहता है. अगर इस बाबा के डीएनए किसी में इम्प्लांट हो, तो ये एक बड़ी कामयाबी होगी। इसके लिए बाबा पर कैमरों से नजर भी रखी गई थी।
चुनरी वाले बाबा के खाने-पीने और उत्सर्जन की क्रिया से पूर्ण मुक्त रहने के दावे का कई बार मेडिकल और साइंटिफिक टेस्ट किया जा चुका है. उनका टेस्ट करने वाले जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर शाह के अनुसार उनका शारीरिक ट्रांसफार्मेशन हो चुका था।
प्रह्लाद जानी का जन्म 13 अगस्त 1929 को हुआ था. महज 10 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने आध्यात्मिक जीवन के लिए अपना घर छोड़ दिया था. एक साल तक वह माता अंबे की भक्ति में डूबे रहे, जिसके बाद वह साड़ी, सिंदूर और नथ पहनने लगे. वह पूरी तरह से महिलाओं की तरह श्रृंगार करते थे. पिछले 50 वर्ष से प्रह्लाद जानी गुजरात के अहमदाबाद से 180 किलोमीटर दूर बनासकांठा की पहाड़ी पर अंबाजी मंदिर की गुफा के पास रह रहे थे।
प्रह्लाद जानी बाबा कई गंभीर बीमारियों का भी कारगर इलाज करने का दावा करते थे. उनका दावा था कि वह एड्स, एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज सिर्फ एक फल देकर कर सकते हैं. यही नहीं, वह निसंतान व्यक्तियों का भी इलाज करने का दावा करते थे।
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