प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज और कल, लगातार दो दिन देश के तमाम मुख्यमंत्रियों संग महामंथन करेंगे। कोरोना की रोकथाम और उससे उपजे हालात को लेकर। माना यही जा रहा है कि इस बैठक के बाद केंद्र सरकार कोई सख्त कदम उठा सकती है। ऐसी आशंका इसलिए जताई जा रही है क्योंकि 1 जून से शुरु हुए अनलॉक के पहले फेज में नए कोरोना मामलों की बाढ़ आ गई है। महामारी ने इन 16 दिनों में मौत की स्पीड पकड़ ली है, क्योंकि लोग हद दर्जे की लापरवाही बरत रहे हैं। इसीलिए देश भर में यह आम धारणा बन रही है कि जल्दी ही एक अनलॉक का खेल खत्म होने वाला है और देश में पहले से ज्यादा सख्त लॉकडाउन लगने वाला है। यह धारणा देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से बन रही है।
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ध्यान रहे कोरोना का कहर पूरे देश में पहुंच गया है। पहले बड़ी शान से उन जिलों की संख्या बताई जाती थी, जहां कोरोना वायरस के केसेज नहीं हैं। पर अब शायद ही कोई जिला बचा होगा, जहां कोई केस नहीं पहुंचा है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि कुछ समय पहले देश के जो पांच राज्य कोरोना से मुक्त हो गए थे वहां भी नए मामलों की भरमार हो गई है। केरल और गोवा जैसे राज्य कोरोना से मुक्त हो गए थे पर वहां अब पहले से ज्यादा मामले हो गए हैं।
सो, लॉकडाउन लगाए जाने का का पहला कारण तो लोगों को यह दिख रहा है देश भर में कोरोना वायरस फैल गया। दूसरा कारण यह दिख रहा है कि संक्रमितों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। इसे ऐसे समझिए कि जिस दिन लॉकडाउन में छूट देने का फैसला हुआ था उस दिन 24 घंटे में जितने मामले आते थे अब उनसे दोगुने मामले आ रहे हैं।
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तीसरा कारण अस्पतालों में बेड्स की कमी का है। चाहे भाजपा शासित राज्य हों या विपक्ष कि किसी पार्टी के शासन वाला राज्य हो, हर जगह बेड्स कि किल्लत है और उससे भी ज्यादा इलाज करने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। मरीजों को जल्दी डिस्चार्ज कर देने, बिना ठीक हुए अस्पताल से छोड़ देने, इलाज के लिए दाखिल नहीं करने, संख्या छिपाने जैसे तमाम उपायों के बावजूद संख्या इतनी बढ़ रही है कि अस्पतालों के साधन कम हो रहे हैं। सो, मामले बढ़ने की रफ्तार कम करने का एकमात्र तरीका लॉकडाउन दिख रहा है।
अब सवाल है कि कब से लागू होगा यह लॉकडाउन? आठ जून को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि देश के किसी भी हिस्से से अगर मजदूर अपने घर लौटना चाहते हैं तो 15 दिन में उनको घर पहुंचाया जाए। 15 दिन की यह अवधि 23 जून को खत्म हो रही है। सो, 23 जून या उसके एक दो दिन बाद का समय इसके लिए आदर्श हो सकता है। तब तक लगभग सारे मजदूर अपने घर पहुंच चुके होंगे। इसके अलावा सरकार व आम लोगों को भी अगले 15 दिन में दूसरी जरूरी तैयारी करने का वक्त मिल जाएगा। सो, पहली बार की तरह अफरातफरी नहीं मचेगी।
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