चंद्रग्रहण कल रात्रि को,दान पुण्य करना होगा लाभकारी

नई दिल्ली। मंगलवार रात को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने वाला है। जोतिषाचार्य अनिल अग्रवाल ने बताया कि यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा जिसे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। यह रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा। यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी।
क्यों लगता है चंद्र ग्रहण
खगोल विज्ञान के मुताबिक, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य जब एक सीध में होते हैं तब ग्रहण पड़ता है। यदि चंद्रग्रहण की बात करें तो जब सूर्य और चंद्रमा के बीच धरती आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यही स्थिति चंद्रग्रहण कहलाती है। खगोल विज्ञानियों के अनुसार, कल रात लगने वाला ग्रहण इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष के मुताबिक, इस ग्रहण के प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं के कारण व्यापक क्षति की आशंका है। पिछली बार 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे। हिंदू पंचांग की मानें तो इस ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है।

आने वाले समय में पड़ने वाले ग्रहण
इस साल के अंत में 26 दिसंबर को तीसरा सूर्य ग्रहण पड़ेगा। साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण जबकि दूसरा पांच जून को लगेगा। अगले साल का तीसरा चंद्रग्रहण 05 जुलाई को जबकि चौथा 30 नवंबर को लगेगा। अगले साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को जबकि दूसरा 14 दिसंबर को लगेगा। अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को दिखेगा, जबकि इससे पहले 27 जुलाई 2018 को पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखा था।
यह है मान्यता—
हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्य और चन्द्र ग्रहण लगने के समय भोजन करने के लिये मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते हैं। इससे बचने के लिये ऋषियों ने पात्रों में कुश अथवा तुलसी डालने को कहा है ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके। ग्रहण के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है, ताकि कीटाणु मर जाएं।
ग्रहण काल में क्या न करें

1. ग्रहण के समय तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, सोना, केश बनाना, संभोग करना, मंजन करना, वस्त्र नीचोड़ना, ताला खोलना आदि वर्जित हैं।

2. ग्रहण के दौरान सोने से व्यक्ति रोगी होता है। मल त्यागने से पेट में कृमि रोग, मालिश या उबटन लगाने से कुष्ठ रोग और स्त्री प्रसंग से अगले जन्म में सूअर की योनि मिलती है।

3. सूर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक नरक में वास करता है।

4. चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे)। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं।

5. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए।

6. स्कंद पुराण के अनुसार, ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है।

7. ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

ग्रहण काल में क्या करें

1. ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ और जप करना चाहिए।

2. भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।

3. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।

4. ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है।

5. ग्रहण के बाद पुराना पानी और अन्न नष्ट कर देना चाहिए। नया भोजन पकाया जाता है और ताजा पानी भरकर पीया जाता है।

6. सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।

7. ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।

8. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

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