
यूनिक समय, मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में गांजा की तस्करी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। पुलिस, एसटीएफ और एंटी नारकोटिक टीम की लगातार छापेमारी के बावजूद गांजा तस्करी की गतिविधियां नहीं थम रही हैं। रोजाना किसी न किसी को गांजे के साथ गिरफ्तार किया जा रहा है, लेकिन पुलिस अभी तक इस नेटवर्क के मुख्य तस्कर तक नहीं पहुंच पाए हैं।
मथुरा के साथ-साथ वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना और अन्य देहाती इलाकों में गांजे की खुलेआम बिक्री जारी है। इन क्षेत्रों में गांजा तस्करी से जुड़े लोग लाखों रुपये कमा रहे हैं। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बड़ी मात्रा में गांजा बरामद किया गया है और कई तस्करों को गिरफ्तार भी किया गया है, लेकिन इन प्रयासों के बावजूद असली तस्कर गिरफ्तारी से दूर हैं।
हालांकि, पुलिस द्वारा दबोचे गए छोटे तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है, और अधिकारियों द्वारा यह दावा किया जाता है कि इनसे जानकारी हासिल कर मुख्य तस्करों तक पहुंचा जाएगा। लेकिन गिरफ्तारी के बाद ये मामले ठंडे पड़ जाते हैं और गांजा तस्करी का धंधा बिना किसी रुकावट के चलता रहता है।
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए गए एक व्यक्ति को फर्जी तरीके से गांजा लगाने का मामला भी सामने आया है। थाना प्रभारी मगोर्रा द्वारा इस व्यक्ति पर 300 ग्राम गांजा लगाने का आरोप था, जिसे बाद में मंत्री के आदेश पर जांच कर के सही पाया गया। जांच के बाद थाना प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया। इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि पुलिस कितने निर्दोष लोगों को इस तरह फर्जी मामलों में फंसा रही है और क्या इन मामलों की भी जांच की जाएगी?
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