संसद में शून्यकाल के दौरान मथुरा की सांसद ने गोवर्धन पर्वत का मुद्दा उठाकर गोवर्धन पर्वत के संरक्षण और विकास का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि गिरिराजजी का सात कोसीय परिक्रमा मार्ग दो राज्य उत्तर प्रदेश-राजस्थान की सीमा के अंतर्गत आता है। इसलिए एकीकृत विकास के लिए केंद्र सरकार से’श्री गोवर्धन जी विकास न्यास’ बनाकर विकास कराने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा है कि गोवर्धन जी धाम में श्री गिरिराज पर्वत हैं, जिन्हें संतों द्वारा ब्रज का तिलक भी कहा गया है। 21 किमी की पर्वत की परिक्रमा करने करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। उन्होंने कहा कि गोवर्धन में 60 -70 वर्ष पहले 370 वाटर बॉडीज थीं। वह सब लुप्त होने की कगार पर हैं। उन पर भूमाफियाओं का कब्जा है। जहां गो-घाट होते थे, गहन वृक्षावली, मोर, तोते, कोयल आदि पक्षियों के विहार की व्यवस्था होती थी। सभी कुंडों पर लगभग गोघाट समाप्त कर दिए गए हैं, वृक्षावली को तहस-नहस कर दिया गया है। रेन वाटर रिचार्ज की भी व्यवस्था खत्म कर दी गई है। मानसी गंगा, राधाकुंड, कुसुम सरोवर का जल आचमन योग्य नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे मथुरा वृंदावन की परिक्रमा नष्ट हो गई है, उसी प्रकार गोवर्धन की परिक्रमा को कब्जा कर नष्ट करने का कुत्सित प्रयास चल रहा है। भक्तों के लिए शौचालय और कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है। गोवर्धन जी के विकास के लिए अगले 100 वर्षों को ध्यान में रखकर विश्वस्तरीय सुविधा उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने गोवर्धन के संपूर्ण विकास के लिए न्यास, बोर्ड या परिषद का गठन कर गिरिराज जी का विकास केंद्र सरकार से उसकी निगरानी में कराने की मांग की है।
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