कोलकाता। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में इन दिनों लॉकडाउन लागू है। ऐसे में देश के कई हिस्सों में प्रवासी मजदूर फंस गए है। सरकार उन्हें लगातार ट्रेन और बसों से वापस उनके गांव तक पहुंचा रही है। इस यात्रा में मजदूरों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ट्रेन लेट पहुंच रही है। इस बीच एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। बस से घर लौट रहे मजदूरों को डेड बॉडी के साथ 20 घंटे से ज्यादा का सफर करना पड़ा।
बस में हो गई मौत
अंग्रेजी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक प्रवासी मजदूर बस में सवार हो कर महाराष्ट्र से बंगाल लौट रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक इस बस में 34 लोग सवार थे. बस जैसे ही आंध्र प्रदेश और ओडिशा के सीमा में पहुंची एक यात्री को तेज बुखार हो गया. उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी. एक घंटे के अदर ही उसकी मौत हो गई. ये शख्स मुंबई के एक हॉस्पिटल में हाउसकीपिंग का काम करता था।
पुलिस ने नहीं की मदद
बस में बैठे पैसेंजर ने दो अलग-अलग जगहों पर ओडिशा पुलिस से मदद मांगी. लेकिन उनकी बात कोई सुनने के लिए तैयार नहीं था. यात्रिओं ने आरोप लगाया कि पुलिस को जैसे ही उसने डेड बॉडी के बारे में बताया उन्हें तुरंत शव के साथ राज्य की सीमा से बाहर जाने के लिए कह दिया गया।
बुखार और सांस लेने में दिक्कत
बंगाल के प्रवासी मजदूर वेस्ट मिदनापुर लौट रहे थे. एक पैसेंजर ने बताया, ‘बस ने जैसे ही आंध्र प्रदेश-ओडिशा के बॉर्डर को क्रॉस किया सुदर्शन मंडल को बुखार हो गया और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. हमने चेकपोस्ट पर पुलिस को बताया. हमने उन्हें तुरंत उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करने को कहा लेकिन वो सुनने को तैयार नहीं थे।
लाश के सामने मासूम बच्ची
बस से मिदनापुर पहुंची सर्मिष्ठा बेरा ने बताया कि वो दो साल की बच्ची के साथ बस में आगे की सीट पर बैठी थी। उनके ठीक सामने लाश रखी थी। उन्होंने बताया कि एक-एक मिनट उनके लिए भारी था। बड़ी मुश्किल से वो आंखें बंद करके बैठी रही।
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