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बुधवार ( 9 अक्टूबर) को तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर अपनी फिल्म ‘सांड की आंख’ का प्रमोशन कर रही थीं. इसी दौरान एक महिला पत्रकार के सवाल पर तापसी बुरी तरह भड़क गईं.
मुंबई. बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म ‘सांड की आंख’ के प्रमोशन में जमकर मेहनत कर रही हैं. डांडिया इवेंट में डांस करने से लेकर मीडिया को इंटरव्यू देने तक तापसी हर जगह नजर आ रही हैं. लेकिन बुधवार को मीडिया के साथ हुए इंटरव्यू में तापसी काफी रूखा व्यवहार करते और सवालों की खिल्ली उड़ाते हुए नजर आईं. इतना नहीं, ‘पिंक’ जैसी फिल्म में काम करने वाली तापसी अब #MeToo से जुड़े सवाल को कमजोर आंकते हुए उसका जवाब देने के बजाए मीडिया पर भी ऐसे सवाल के लिए भड़क जाती हैं. न्यूज18 की रिपोर्टर शिखा धारीवाल ने मीडिया से तापसी के इस व्यवहार का आंखो देखा हाल बयां किया है. शिखा के अनुसार चाहे उनकी टीम हो या किसी फिल्म के प्रमोशन के दौरान इंटरव्यू लेने आया जर्नलिस्ट हो, बुधवार को अपनी फिल्म प्रमोशन के एक इवेंट में तापसी हर किसी से काफी रूखे रवैसे से पेश आ रही थीं.
हमारी रिपोर्टर शिखा धारीवाल ने बताया, ‘बुधवार ( 9 अक्टूबर) को तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर अपनी फिल्म ‘सांड की आंख’ का प्रमोशन कर रही थीं. इसी दौरान इंटरव्यू लेने आई एक महिला पत्रकार ने तापसी से Me too से जुड़ा सवाल किया कि क्या वाकई #Metoo मुहीम के बाद बॉलिवुड में कोई बदलाव आया है? इस समय यह मुहीम लगभग खत्म हो गई है. क्या इस मुहीम को चलते रहने की जरूरत है?’ Me Too मुहिम से जुड़े इस सवाल पर तापसी तमतमा गईं और पत्रकार को बताने लगीं कि क्या पूछना चाहिए और क्या नहीं. इतना ही नहीं, तापसी ने इस सवाल को छोटा और कमजोर बताकर वहां मौजूद लोगों के सामने पत्रकार का मजाक उड़ाकर उसकी बेइज्जती भी की. जबकि वहीं उनके साथ मौजूद भूमि पेडनेकर ने शांति से अपनी बात रखी.’
शिखा धारीवाल ने बताया, ‘तापसी का यह व्यवहार सिर्फ पत्रकारों तक सीमित नहीं था, वह बात-बात पर पीआर टीम के सदस्यों को भी धमका रही थीं. उनका यह व्यवहार सभी के लिए हैरान और दुःखी कर देने वाला था. तापसी के इस बर्ताव के बाद महसूस हुआ कि वहां दो लोगों की आंखे नम हो गई थीं, सबके सामने बेइज्जत हुईं महिला पत्रकार और खुद तापसी की टीम की एक महिला की आंखों में नमी थी. ये अकेला सवाल नहीं था, बल्कि ऐसे कई सवालों पर तापसी भड़कती हुई नजर आईं.’
शिखा का कहना है कि तापसी का व्यवहार देखकर लगा कि जैसे उन्होंने अब तक जिस तरह महिला सशक्तिकरण की बात की है, वह सब दिखावा था, शायद अखबारों में हेडलाइन भुनाने के लिए करती रही हैं. क्योंकि अगर वह वाकई सही होती तो एक महिला पत्रकार के पूछने पर सवाल और मुद्दे की गंभीरता को समझकर जवाब देतीं, इस तरह तमाम लोगों के सामने पहले पत्रकार को और बाद में फिल्म की पीआर पर न तमतमातीं.
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