बिहार में राज्यसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया, उसके बाद मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी भूमिहार नेता अमरेंद्र धारी सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर सबको चौंका दिया।राजद ने भूमिहार समुदाय से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है। ऐसे में कहा जाने लगा है कि राजद अब अपने अपने कोर वोटबैंक मुस्लिम-यादव के अलावा नए वोटबैंक की तलाश भी शुरू कर दी है।
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव के चुनावी कौशल और रणनीति की इसमें बड़ी परीक्षा होनी है। लोकसभा चुनाव में असफल हो चुके तेजस्वी के लिए यह विधानसभा चुनाव ‘अग्निपरीक्षा’ मानी जा रही है। ऐसे में राजद ने भूमिहार तबके से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह को राज्यसभा भेजने का फैसला करके सवर्ण समाज को एक बड़ा संदेश दिया है। राजद के एक नेता भी कहते हैं, ‘‘राजद खुद पर लगा एमवाय (मुस्लिम यादव) टैग हटाना चाहती है। इसी वजह से पहले प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी राजपूत बिरादरी से आने वाले जगदानंद सिंह को सौंपी गई थी।’’
बिहार की राजनीति में भूमिहार को राजद का विरोधी माना जाता है। राज्य के बेगूसराय, मुंगेर, नवादा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, महाराजगंज, जहानाबाद, आरा, मोतिहारी, पाटलिपुत्र, औरंगाबाद और सीतामढ़ी जैसे इलाकों में जीत-हार में भूमिहार वोटों की अहम भूमिका रहती है। एक अनुमान के मुताबिक, राज्य में सवर्णों की 15 प्रतिशत आबादी में से तकरीबन चार प्रतिशत भूमिहार वोट हैं। इसके अलावा 5 फीसदी राजपूत और इससे कुछ ज्यादा ब्राह्मण आबादी है। राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं, ‘‘भूमिहार को भाजपा का वोटबैंक माना जाता है, जिसे अब राजद ने साधने की कोशिश की है। राजद द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों के 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विरोध किए जाने के बाद राजद को लेकर सवर्ण वर्ग में गलत संदेश गया था, जिसे राजद अब सुधारने की कोशिश में है। अब राजद ने विधानसभा चुनाव के समीकरणों को देखते हुए सवर्ण जातियों को साधने की कोशिश की है।’’
उल्लेखनीय है कि कभी लालू यादव ने भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ करो का नारा दिया था। हाल के दिनों में लालू यादव ने भूमिहारों से काफी दूरी बनाकर रखी थी। राजद ने अब भूमिहार समुदाय के नेता को राज्यसभा का टिकट देकर नया दांव खेला है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने हालांकि जातीय दांव को नकारते हुए कहा कि राजद ने कभी जातिवाद की राजनीति नहीं की है। राजद सभी वर्ग व समाज के दबे, पिछड़ों की आवाज उठाता रहा है। सूत्रों का कहना है कि राजद में एक मुस्लिम समाज से आने वाले राजद नेता का नाम राज्यसभा उम्मीदवार के लिए लगभग तय हो चुका था, लेकिन अंतिम समय में फैसला बदल गया। इससे पहले सवर्ण समुदाय से आने वाले जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राजद ने यह दांव चला था कि वह सर्वसमाज की राजनीति करने वाली पार्टी है। लालू की पार्टी इससे पहले मनोज झा को राज्यसभा भेजकर ब्राह्मण विरोधी होने का टैग हटाने की कोशिश कर चुकी है।
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