खुद के स्टेमिना पर बोले प्रधानमंत्री मोदी- मैं पिछले दो दशक से रोज एक या दो किलो गालियां खाता हूं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लंदन के ऐतिहासिक वेस्टमिंस्टर हॉल में लोगों के सवालों के जवाब दिए। इस कार्यक्रम का नाम था, ‘भारत की बात-सबके साथ’ कार्यक्रम का संचालन मशहूर कवि प्रसून जोशी ने किया। मोदी ने कई सवालों के जवाब दिए। ये सवाल सर्जिकल स्ट्राइक से भारत में रेप की बढ़ती घटनाओं तक थे। मोदी ने हर सवाल का अपने अंदाज में जवाब दिया। इसी दौरान एक रोचक सवाल उनसे पूछा गया। यह सवाल पीएम से उनकी एनर्जी यानी ऊर्जा पर पूछा गया था। पीएम ने इस सवाल का जवाब ऐसा दिया कि करीब पंद्रह सौ लोग काफी देर तक हंसते रहे या फिर तालियां बजाते रहे।

ये रहा सवाल
– प्रधानमंत्री जी आप हम सभी भारतीय युवाओं के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं। दिन में 20-20 घंटे काम करना छोटी बात नहीं है। आपके अंदर इतनी ऊर्जा आती कहां से है। हमें पता है कि आप योगा करते हैं। आप हमें बताएं कि ताकि हम भी देशहित में हम अपनी ऊर्जा का उपयोग कर सकें।

और मोदी का जवाब
– “इसके कई जवाब हो सकते हैं। मैं पिछले दो दशक से रोज एक किलो, दो किलो गालियां खाता हूं। (यहां से शुरू हुए ठहाके कई मिनट तक जारी रहे)। सीधी-सरल बात बताऊं। पुरानी घटना आपने सुनी होगी कि पहाड़ पर तीर्थ स्थान था और तराई में कोई संत बैठे थे और एक 8 साल की बच्ची अपनी 3 साल के उम्र के भाई को उठाकर उस पहाड़ पर चढ़ रही थी। संत ने पूछा कि थकान नहीं लग रही है क्या, बच्ची ने जवाब दिया कि ये तो मेरा भाई है। संत ने फिर पूछा कि थकान नहीं लग रही है क्या? बच्ची ने फिर जवाब दिया कि ये तो मेरा भाई है। संत ने फिर कहा कि रिश्तेदार नहीं पूछ रहा हूं, थकान नहीं लग रही है क्या? उसने कहा कि ये मेरा भाई है, भाई की थकान नहीं होती।”

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ये मेरा परिवार, फिर थकान कैसी
– पीएम ने आगे कहा, “मेरे लिए सवा सौ करोड़ देशवासी मेरा परिवार हैं। जहां पर आप अपनापन अनुभव करते होंगे, कितने ही थके हों, सोने का मन कर रहा हो, शरीर साथ ना दे रहा हो। लेकिन, फोन आ जाए कि भतीजे की तबीयत खराब है और वो अस्पताल में हैं, आप तुरंत भागते हैं और रातभर सेवा में लगे रहते हैं। हर पल त्रिपुरा, केरल या दिल्ली से कोई खबर आ जाती है फिर मन करता है कि चलो उठो दौड़ो। आज प्रधानमंत्री हूं लोग सब करेंगे, चाय-पानी लाएंगे। कल मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता। मैं हंसते-खेलते बात करते चला जाना चाहता हूं। शरीर को जितना फिट रख सकता हूं, काम ले सकता हूं, नियमों का पालन कर सकता हूं उसी को जीने का प्रयास करता हूं। विरासत में बहुत कुछ मिल सकता है, लेकिन खुद को फिट रखना आपको ही करना पड़ता है।”

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