सुप्रीम कोर्ट से एक के बाद एक आ रहे फैसलों से और ताकतवर हुई मोदी सरकार के लिए ये नया फंदा टेढ़ी खीर साबित होगा क्योंकि इस बार विपक्षी दलों की तैयारी उसे पूरी तरह घेर लेने की है। अर्थव्यवस्था में मंदी, महाराष्ट्र के घटनाक्रम और जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने तथा किसानों के मुद्दे पर विपक्षी दलों के कड़े तेवरों को देखते हुए आगामी शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है और इसे सुचारू ढंग से चलाना सरकार के लिए टेढी खीर होगा। शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होगा और 13 दिसम्बर तक चलेगा। मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद यह संसद का दूसरा सत्र होगा। जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किये जाने और इसका दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजन किये जाने के बाद भी संसद का सत्र पहली बार बुलाया गया है। सरकार ने इससे संबंधित विधेयक सत्र के अंतिम दिनों में पारित कराये थे और विपक्ष विरोध के बावजूद इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में विफल रहा था। इस बार वह इस मुद्दे को सत्र के दौरान जोर-शोर से उठाने की पूरी कोशिश करेगा।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सत्र के दौरान सुचारू कामकाज के लिए सभी विपक्षी दलों के साथ सत्र शुरू होने से एक दिन पहले रविवार को अपने निवास पर बैठक बुलायी है। बैठक में वह सभी दलों के नेताओं से पिछले सत्र की तरह विधायी कामकाज में सहयोग की अपील के साथ साथ उनके सुझाव भी मांगेगे। लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ सत्ता में वापसी के बाद पिछले संसद सत्र में रिकार्डतोड़ विधायी कामकाज से उत्साहित मोदी सरकार एक बार फिर लंबित विधेयकों तथा नये विधेयकों के भारी भरकम एजेन्डे के साथ संसद सत्र की रणनीति बनाने में जुटी है। उधर सरकार कराधान कानून (संशोधन)अध्यादेश 2019 और देश में ई सिगरेट तथा ई हुक्का पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित अध्यादेश की जगह विधेयक लेकर आयेगी। इसके अलावा पिछले सत्र में लंबित रहे विधेयकों को भी पारित कराने के लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के फैसले पर भी संसद की मुहर लगेगी।
अयोध्या में विवादित जमीन पर राममंदिर निर्माण के लिए एक न्यास का गठन करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर सरकार इसी सत्र में एक विधेयक भी ला सकती है। विधेयक में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ भूमि के अधिग्रहण का भी प्रावधान किये जाने की संभावना है। राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विचार याचिका को खारिज किये जाने से भी सरकार को राहत मिली है और अब विपक्ष इस मामले को संसद में उठाने से पहले सोचेेगा। न्यायालय ने उसके पहले के फैसले के खिलाफ सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में सौदे की स्वतंत्र जांच कराने की मांग ठुकरा दी थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में इस मामले को पूरे जोर शाेर से उठाया था।
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