नई दिल्ली। 2002 में गुजरात के नरोदा पाटिया नरसंहार में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। विशेष अदालत ने इस मामले में पूर्व भाजपा विधायक बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया है जबकि गुजरात सरकार में मंत्री रही माया कोडनानी को निर्दोष करार दिया है। कोर्ट ने आज 32 आरोपियों में से 17 आरोपियों को बरी कर दिया है जबकि 12 की सजा बरकरार रखी है। इस मामले में 1 आरोपी की पहले ही मौत हो चुकी है और 2 अभियुक्तों पर अभी फैसला आना बाकी है। इससे पहले स्पेशल कोर्ट ने कोडनानी और बजरंगी सहित 32 लोगों को दोषी करार दिया था। 2002 में नरोदा पाटिया में हुए दंगों के दौरान 97 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था जबकि 33 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। 27 फरवरी 2002 को जब गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियों को आग के हवाले किया गया तो उसके बाद गुजरात में दंगे शुरू हुए थे। 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया में भीषण दंगे भड़क उठे जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान गई। नरोदा पाटिया नरसंहार का कोर्ट केस 2009 में शुरू हुआ और इसमें जिन 62 लोगों को आरोपी बनाया गया था उनमें गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और पूर्व भाजपा विधायक बाबू बजरंगी सहित 32 लोगों को को पिछले साल विशेष अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया था।स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट ने अन्य 29 लोगों को रिहा कर दिया था। दोषी करार दिए गए लोगों ने हाईकोर्ट का रूख किया था और इन्ही की अर्जी पर आज अदालत फैसला सुनाएगी। विशेष अदालत ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दंगों के दो साल बाद बजरंगी विश्व हिंदू परिषद् में शामिल हो गए थे और बाद में फिर शिवसेना का हिस्सा बन गए।
माया कोडनानी की तरफ से इस मामले में कोर्ट में गवाही दी थी। अमित शाह ने कोर्ट से कहा था कि 28 फरवरी, 2002 को कोडनानी भी विधानसभा में मौजूद थीं। सुबह 9:30 से लेकर 9:45 तक मैं सिविल अस्पताल में था और माया कोडनानी से वहां मिला था। मैं लोगों से घिरा हुआ था जब मैंने अस्पताल छोड़ा। माया कोडनानी और मुझे अपनी-अपनी कारों तक पुलिस जीप से ले जाया गया।
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