हमारे देश में कई गलत कुरीतियां कायम होने के कारण समाज सुधार की राह में बाधा पैदा होती है। लडकियों की अपेक्षाकृत कम उम्र में शादी होना सामाजिक कुरीति के साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी एक बडा कारण है। लिहाजा काफी समय से अक्सर यह चर्चा होती रही है कि लडकियों की शादी की न्यूनतम उम्र को बढाया जाना चाहिए। अब जब प्रधानमंत्री ने लाल किले से अपने संबोधन में इसकी चर्चा की है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि कानून के माध्यम से इसमें आवश्यक सुधार किया जा सकता है।
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अब तक जिस बाल विवाह को खत्म करने की सोच को केवल किताबों और सेमिनारों तक ही सीमित समझा जा रहा था, उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गंभीरता ने एक बार फिर से विमर्श खड़ा कर दिया है। दरअसल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु पर पुनर्विचार करने की बात कही है। साफ तौर पर कहें तो प्रधानमंत्री ने शादी की न्यूनतम उम्र को 18 साल से बढ़ाकर 21 करने के संकेत दिए हैं। शादी की न्यूनतम आयु में बदलाव का संकेत देकर प्रधानमंत्री ने यकीनन एक ऐसी बहस छेड़ी है जिसकी दशकों से जरूरत महसूस की जा रही थी।
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