नई चुनौती: बीजेपी में सिंधिया के शामिल होने के बाद खड़ा हुआ बवाल, मध्यप्रदेश में सीएम पद के 4 दावेदार!

ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने से जहां केंद्रीय भाजपा खुश है तो वहीं मध्यप्रदेश भाजपा में नई तरह की शंका और समस्या को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. स्थानीय और प्रदेश के नेता यह सवाल कर रहे हैं कि आखिर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व आने वाले समय में यहां पर शक्ति संतुलन कैसे रखेगा. जब यहां पर अधिकार और वरीयता देने का समय आएगा तो भाजपा में आने वाले नए साथियों को सम्मान दिया जाएगा या फिर पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा.
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आने वाले समय में क्या गारंटी है कि शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय की तरह ही ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं होंगे. केंद्रीय नेतृत्व को यहां पर सरकार परिवर्तन के साथ ही इन मुददों पर भी सोचना चाहिए. जिससे भाजपा में आंतरिक विद्वेष की भावना नहीं बढ़ पाए.

प्रदेश भाजपा के इन सवालों पर पार्टी के एक महासचिव ने कहा कि जब कोई नया सदस्य परिवार में आता है तो इस तरह के सवाल उठते रहते हैं. लेकिन समय के साथ अधिकार और कार्य का बंटवारा हो जाता है. परिवार में यह समायोजन अपने आप हो जाता है. मध्यप्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता, जो इस समय केंद्रीय राजनीति में हैं, ने लोकमत समाचार से बातचीत में कहा कि इस समय उत्सव काल है. ऐसे में इस तरह के सवाल बेनामी है.

हालांकि आने वाले समय में हमें यह देखना होगा कि किस तरह से नए और पुराने के बीच समभाव बना रहे. जो नए विधायक हमारे साथ आ रहे हैं, वह हमारे पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं को हराकर विधायक बने हैं. ऐसे में जब अगली बार विधानसभा चुनाव होंगे तो उम्मीदवार कौन होगा. वह नए आए साथी होंगे या फिर पुराने समर्पित कार्यकर्ता होगा. इसी तरह से अगर सिंधिया काम करने आए हैं तो उनकी लिए किसी पुराने साथी की राज्यसभा टिकट क्यों काटी जा रही है? वह जमीन पर काम करें.

इसी तरह की स्थिति विभिन्न नगर निगम, मंडी में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर होने वाला है. मध्यप्रदेश में यह समस्या इसलिए बड़ी है क्योंकि यहां पर भाजपा घर—घर है. यहां पर भाजपा के साथ लोग दशकों से जुड़े हैं. क्या उनके साथ आने वाले समय में उपेक्षा नहीं होगी, यह कैसे तय होगा.

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