नई दिल्ली। भारत अब स्वदेशी सामानों पर जोर देने जा रहा है। देश में इस पर जोर बढ़ रहा है कि हम चाइनीज सामानों का कम से कम इस्तेमाल करें। ऐसी कोशिश भी शुरू हो गई लेकिन सुबह हमारे उठने से लेकर रात में सोने तक हम लगातार चीन में बने सामानों का इस्तेमाल करते हैं।
दीवाली पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों और सजावटी झालरों और होली पर पिचकारी से लेकर रंगों तक सबकुछ अब चीन से ही आ रहा है। भारतीय व्यापारी केवल उनपर अब देसी ठप्पा लगाने का काम ज्यादा करते हैं। यहां तक कि भारत अब चीन से भारी मशीनरी भी मंगाने लगा है।
पिछले दो दशकों में भारत में इंडस्ट्रीज बंद ज्यादा हुई हैं। भारत के व्यापारियों के लिए भी ये ज्यादा मुफीद हो गया कि वो बजाए भारत में सामान बनाने या खरीदने के उसे चीन से मंगाएं. ये उनके लिए ना केवल ज्यादा मुनाफे वाला है बल्कि काफी सस्ता भी पड़ता है।
सुबह उठने पर
सुबह उठकर हम बाथरूम में जाते हैं। हम जिस टूथब्रश को हाथ में लेते हैं वो बेशक भारतीय ब्रांड के हों लेकिन अब उनमें से ज्यादातर चीन में तैयार होते हैं। उन पर भारतीय ब्रांड्स का ठप्पा लग जाता है। टूथपेस्ट के प्लास्टिक के खोल वहीं से बनकर आ रहे हैं। यहां तक कि हम जिन टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते हैं। कई भारतीय कंपनियां उसके लिए पाउडर चीन से आयात करती हैं। चीन की एक साइट https://www.made-in-china.com/ से ये बताती है कि कैसे वो इसमें हर किस्म का सामान बनाती है और उन्हें भेजती है। ऐसी ना जाने कितनी साइट्स हैं जो आसानी से अपने बनाए सामानों पर भारतीय ब्रांड का ठप्पा लगाती हैं और उन्हें भारतीय बाजारों में भेज देती हैं।
बाथरूम में आप जिन प्लास्टिक के मग और सामानों का इस्तेमाल करते हैं. वो अमूमन मेड इन चाइना होते हैं। शैंपू से लेकर साबुन का मटीरियल वहीं से आ रहा है। बाथरूम में लगी एसेसरीज में संभव है कि ज्यादातर वहीं से बनकर आई हों।
दिन में घर से लेकर आफिस तक
क्या आपने कभी गौर किया है कि किचन में इस्तेमाल होने वाली आपकी नए मैलामाइन और अन्य मटीरियल के बर्तन, चाकू, स्टैंड्स, यूटेंसिल कहां से आए हैं। ज्यादातर भारतीय व्यापारी अब ये सामान चीन से मंगाते हैं और उस पर भारतीय ब्रांड्स का ठप्पा लगाते हैं. ये पिछले बरसों में धड़ल्ले से होता गया है।. आफिस में आपकी टेबल पर रखा डेस्क टॉप या लैप टॉप आमतौर पर चीन या ताइवान का बना होता है. प्रिंटर ज्यादातर चीन से बनकर भारत आ रहे हैं।. हमारे वाहनों की एसेसरीज के बाजार पर भी चीन का कब्जा है।
रात में सोने तक
हमने दिन जिन लोगों से बात की और जिन एप्प का सबसे इस्तेमाल अपने स्मार्टफोन पर किया, उसमे ज्यादा चीन के हैं. भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाले 15 स्मार्टफोन में 14 चीनी कंपनियों से जुड़े हैं। हम रात में सोने से पहले टीवी पर जब मनोरंजन प्रोग्राम या खबरें देखते हैं तो हमें अंदाज नहीं होता कि भारत में 90 फीसदी कलर और स्मार्ट टीवी के किट चीन से भारत आते हैं।
आइए जानते हैं कि चीन से भारत में सबसे ज्यादा आने और खपत होने वाले सामान कौन से हैं।
हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान आते हैं वहां सेबड़े पैमाने पर स्मार्ट फोन, टीवी किट, डिस्प्ले बोर्ड, एसडी कार्ड, मेमोरी कार्ड, लैपटॉप, पेन ड्राइव, साउंड रिकॉर्डर्स के साथ एलईडी बोर्ड चीन से भारत को आते हैं। इसमें वायरलेस और कम्युनिकेशन उपकरण भी हैं। इनका सालाना कारोबार 21.1 बिलियन डॉलर (2016 का आंकड़ा)
ज्यादातर भारतीयों के हाथ में चीन के बने स्मार्टफोन हैं
पहली मशीनरी यूरोपीय देशों से आती थी अब चीन से पहले भारत में आमतौर पर मशीनरी सामान जर्मनी, फ्रांस और यूरोपीय देशों से आते हैं लेकिन अब वो ज्यादातर चीन से आते हैं. इसमें हर तरह की मशीनों, मशीनों से जुड़े सामान, रेल के सामान, न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर, पॉवर जेनरेशन उपकरण और मशीनरी पार्ट शामिल हैं. इसमें वाहन और कार एसेसरीज भी हैं।
ड्रग्स के मटीरियल और केमिकल्स
हर तरह के आर्गनिक केमिकल्स और उनके एलिमेंट्स तथा खाद और खाद से जुड़े तत्व शामिल हैं। दवाइयों के लिए भी बड़े पैमाने पर मटीरियल चीन से आता है। ये माना जाता है कि अगर चीन की कंपनियों हमें दवा में इस्तेमाल होने वाले मटीरियल नहीं भेजें तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। ये बहुत सस्ता भी होता है। यहां तक भारत ने बड़े पैमाने पर हाल में हाइड्रो क्लोरो क्वीन नाम की जो दवा विदेशों में निर्यात की है, उसका मटीरियल भी चीन से ही आया था।
प्लास्टिक के सामान
प्लास्टिक के रोजाना घर से लेकर आफिस तक में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान बड़े पैमाने पर चीन से ही आ रहे हैं
स्टील मशीनरी भी अब चीन से
स्टील के साथ लोहे से बनी बड़ी से लेकर छोटी मशीनें पिछले कुछ बरसों में बड़े पैमाने पर चीन से आने लगी हैं
जो भारी मशीनरी पहले भारत में यूरोप या अमेरिका से आती थी, वो अब चीन से आ रही है
चश्मे, मेडिकल और सर्जिकल उपकरण
अगर आप देख रहे हों कि कोरोना के दौरान किस तरह चीन पूरी दुनिया में मेडिकल और सर्जिकल उपकरण और साजोसामान धड़ाधड़ भेज रहा है. पिछले कुछ बरसों में चीन बड़े पैमाने पर इस तरह के सामान बना रहा है. यहां की भारत में भी अब सस्ते मेडिकल और आपरेशन थिएटर में इस्तेमाल होने वाली उपकरण चीन से आ रहे हैं. पहले ये सब यूरोप और अमेरिका से आता था लेकिन अब बड़ी संख्या में ऐसे सामान पड़ोसी देश से आते हैं।
ज्यादातर फर्नीचर भी वहीं से
बाजार में जितने फर्नीचर अब नजर आते हैं, उसमें से ज्यादातर व्यापारी आर्डर देकर चीन से मंगाते हैं. इसमें सस्ते से महंगे फर्नीचर होते हैं यानि हर रेंज के. बहुत से भारतीय जब अपने लग्जरी घर बनवा रहे होते हैं तो फर्नीचर के लिए खुद ही चीन जाकर वहां उन्हें देखते हैं और आर्डर देकर आते हैं।
हमारे रोजाना की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले सामानों में बहुत से अब चीन से बनकर ही आते हैं, बेशक उन पर देसी कंपनी अपना ठप्पा लगा दे
खेल के सामान और खेल उपकरण
एक जमाने में देश में मेरठ और जालंधर खेल सामानों और उनसे जुड़े उपकरणों के निर्माण के मुख्य केंद्र थे. लेकिन अब इन दोनों जगहों पर तमाम खेल निर्माता ये शिकायत करते मिल जाएंगे कि अब बहुत ढेर सारे खेल का सामान और उपकरण चीन से आने लगा है. इसका असर उनके कामकाज पर पड़ा है।
खिलौनों में 80 फीसदी सामान चीन का
बिजनेस टूडे में छपी एक बड़ी रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह चीन ने हर सेक्टर में असर डाला है. ये रिपोर्ट कहती है कि पिछले वित्तीय वर्ष में चीन से 451.7 मिलियन डॉलर का सामान चीन से आयात किया गया. माना जाता है कि हमारी खिलौनों की इंडस्ट्री में 80 फीसदी सामान चीन से मंगाकर यहां बेचा जाता है।
चूंकि भारत का उपभोक्ता जरूरत से ज्यादा ही चीन के सामानों पर निर्भर हो चुका है, इसलिए ये सोचना वाकई कठिन है कि अगर चीन से आने वाले सामानों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई तो क्या होगा।
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