राजनैतिक ड्रामा रोज नए मोड़ ले रहा है और वही भाजपा के पक्ष में तो कभी कांग्रेस के पक्ष में पलड़ा झुकता नजर आता है, अब तो सुप्रीम कोर्ट में भी मामला पहुंच गया है, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभाल लिया है, और बताया जा रहा है कि कमलनाथ सरकार को बचाने को लेकर फॉर्मला भी ढूंढ निकाला है ।
क्या है वह फार्मूला –
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस विधायकों को मैनेज करने का जिम्मा हुठा लिया है हरीश रावत दवारा इस जिम्मेदारी को सँभालने के पीछे एक बड़ी स्ट्रेटजी मानी जा रही है । कुछ समय पहले उत्तराखंड में कार्यकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों और कुछ वरिष्ठ नेताओं ने विद्रोह करते हुए भाजपा में शामिल हो गए थे, और हरीश रावत ने दल-बदल कानून के आधार पर कई बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी और बाकी विधायकों के आधार पर बहुमत साबित कर लिया था। लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ स्पीकर के साथ मिलकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को आधार बना कर उनकी सदस्यता समाप्त कर सकते हैं । हरीश रावत मध्यप्रदेश में भी इसी फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। और कुछ बागी कांग्रेस विधायकों ने अभी भाजपा की सदस्यता नहीं ली है, ऐसे में सरकार बचाने का हरीश रावत फार्मूला लागू हो सकता है।
विधानसभा में अभी कुल 127 सदस्य हैं (कांग्रेस -120 / भाजपा -107) । कांग्रेस के लगभग 21 विधायक बागी हो चुके हैं । अगर इन बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होगी तो विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 206 हो जाएगी और बहुमत का आकड़ा 104 हो जायेगा इस दौरान कांग्रेस के पास 99 और भाजपा के 107 विधायक होंगे ।
भाजपा के पास इस स्थिति में बहुमत होगा, लेकिन कांग्रेस 5 भाजपा विधायकों को अपने समर्थन में ले तो इस स्थती में कमलनाथ सरकार बच सकती है। लगातार दावा कर रती कांग्रेस कहना है कि भाजपा के 5 -6 विधायक उसके सम्पर्क में हैं ।
Leave a Reply