NEXT: मोदी-शाह का अब इन दो एजेंडो पर रहेगा फोकस

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार की दूसरी पारी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का एजेंडा एक-एक कर पूरा हो रहा है. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी का अगला एजेंदा क्या होगा, उसके बारे में आसानी से कयास लगाया जा सकता है. मोदी सरकार-2 में चुनावी घोषणा पत्र में किए गए तीन बड़े वादे सात महीने के भीतर ही पूरे हो गए हैं. ये तीनों ही वादे आरएसएस की बरसों पुरानी मांग थीं. बीजेपी ने 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून लाने और एक बार में तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने का वादा किया था. माना जा रहा है कि सरकार अब आने वाले वक्त में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े कानूनों पर भी काम शुरू कर सकती है.

बीजेपी नेताओं के साथ ही संघ नेताओं को उम्मीद है कि अब इस वादे को पूरा करने की दिशा में काम किया जाएगा. संघ के एक नेता ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बेहद जरूरी है. जिस तरह से कई राज्यों की डेमोग्राफी बदल गई है उसे देखते हुए इसमें देरी नहीं करनी चाहिए. संघ नेता के मुताबिक बीजेपी ने भी इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है और हमें उम्मीद है कि जिस तरह तीन अहम वादे पूरे किए गए हैं उसी तरह जल्द ही यह भी पूरा होगा.

बुधवार को जब राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल चर्चा और पास करने के लिए पेश किया तो उन्होंने भी बीजेपी के घोषणापत्र का जिक्र किया. शाह ने कहा कि जो लोग हम पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि चुनावी घोषणापत्र सरकार की नीतियों की उद्घोषणा होता है और जनता इस पर यकीन कर सरकार चुनती है.

उन्होंने कहा कि हमने चुनाव से पहले ही यह इरादा (नागरिकता संशोधन कानून लाने का) जनता के सामने रखा था जिसे जनता का समर्थन मिला. गृह मंत्री ने कहा कि जनादेश से बड़ा कुछ नहीं हो सकता. इसके जवाब में कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि किसी भी दल का घोषणापत्र संविधान से नहीं टकरा सकता है, ना उसके ऊपर जा सकता है. हम सबने संविधान की शपथ ली है और संविधान सर्वोपरि है.

नागरिकता संशोधन बिल संसद में पास होने के साथ ही बीजेपी का तीसरा बड़ा वादा पूरा हो गया है. अब बीजेपी के भीतर और संघ परिवार के लोगों की नजरें समान नागरिकता कानून पर टिकी हैं. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में यह वादा भी किया है कि बीजेपी समान नागरिक संहिता बनाने को कटिबद्ध है. इसमें कहा गया है कि बीजेपी का मानना है कि जब तक भारत में समान नागरिक संहिता को अपनाया नहीं जाता है तब तक लैंगिक समानता कायम नहीं हो सकती है.

नागरिकता संशोधन पर वोटिंग के दौरान विपक्षी एकता बिखरी हुई नजर आई. दरअसल विपक्ष को उम्मीद थी कि बिल के विरोध में करीब 110 सांसद वोट करेंगे लेकिन यह आंकड़ा 99 पर आकर रुक गया. नागरिकता संशोधन विधेयक पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा में 224 सांसद मौजूद थे. बहुमत के लिए 113 वोट चाहिए थे. बिल को लेकर बीजेपी ने उम्मीद जताई थी कि इसके समर्थन में 124 से लेकर 130 वोट आ जाएंगे. 125 वोटों के साथ वह इस कयास पर खरे उतरे. दूसरी ओर बिल के विरोध में 110 वोट डाले जाने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आनेवाले समय में भी विपक्ष के इस बिखराव का लाभ बीजेपी को मिलेगा.

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