जलियांवाला बाग: सिल्वर स्क्रीन पर दिखेगा 100 साल पुराना दर्द

नई दिल्ली। बॉलीवुड में अभी पीरियड ड्रामा फिम्में काफी बन रही हैं। ये फिल्में सफल भी रह रही हैं। भारतीय दर्शक अपने इतिहास को जानना चाहते हैं और फिल्ममेकर इसीलिए पूरानी कहांनियों पर फिल्म बना रहे हैं। पीरियड फिल्म की बात करें तो जल्द ही जालियावाला बाग पर फिल्म बनने जा रहा है। जलियांवाला बाग कांड को इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में गिना जाता है। इसे अमृतसर कांड के नाम से भी लोग जानते हैं।

घटना के 100 साल बात ‘यलो टर्बन फिल्म्स’ और सरबजीत बोनी दुग्गल जलियांवाला बाग कांड पर फिल्म का अनाउंसमेंट करने जा रहे हैं। फिल्म उस वक्त की दास्तां को पर्दे पर जीवंत करेगी जब हजारों लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राण गंवा दिए थे। जहां तक बात फिल्म की स्टार कास्ट की है तो इसका खुलासा भी जल्द ही कर दिया जाएगा। जलियांवाला बाग कांड को ब्रिटिश राज की सबसे भयानक घटना के तौर पर याद किया जाता है। स्पॉटबॉय ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा, “फिल्म के लिए अभी और ज्यादा व्यापक रिसर्च की आवश्यकता है। यलो टर्बन फिल्म्स और सरबजीत बोनी दुग्गल इस बारे में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।”

जलियांवाला बाग हत्याकांड की कहानी क्या है?
आज से सौ साल पहले 13 अप्रैल 1819 में जलियांवाला बाग हुआ था। उस दिन 20 हजार भारतीय एक जगह इकट्ठा हो कर शांति से सभा कर रहे थे। ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी। पर इससे दो दिन पहले अमृतसर और पंजाब में ऐसा कुछ हुआ था, जिससे ब्रिटिश सरकार गुस्से में थी। जनरल डायर 90 सैनिकों को लेकर शाम करीब चार बजे जलियांवाला बाग पहुंचा। डायर ने सभा कर रहे लोगों पर गोली चलवा दी।

इतिहासकारों का कहना है कि 120 लाशें तो सिर्फ उस कुएं से बाहर निकाली गई थी जिस कुएं में लोग जान बचाने के लिए कूदे थे। अंग्रेजों के आंकड़े बताते हैं कि जलियांवाला बाग कांड में 379 लोग मारे गए थे। जबकि हकीकत ये है कि उस दिन एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब दो हजार गोलियों से जख्मी हुए थे।

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