सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2024-25 तक कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर 7 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा, जो अभी करीब पौने तीन लाख करोड़ रुपये सालाना है। गोयल और तोमर ने कहा कि इसके लिए सरकार कई मोर्चों पर एक साथ काम कर रही है। इनमें बेहतर खाद-बीज और ढुलाई प्रबंधों के जरिये उपज में बढ़ावा देने के साथ ज्यादा कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए बहुस्तरीय उपाय शामिल हैं। अभी देश में 8 लाख सहकारी संस्थाएं चल रही हैं, जिसमें करीब 94 फीसदी किसान जुड़े हैं। यह संख्या 15 करोड़ के आसपास हो जाती है।
सहकारी मेला लगाएगी सरकार
कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार देश में पहली बार भारतीय अंतरराष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला लगाने जा रही है। इसमेें सहकारी क्षेत्र के संगठनों के अलावा दुनियाभर के कृषि वस्तुओं के खरीदारों को आमंत्रित किया जाएगा। यह मेला एनसीडीसी और वैश्विक संस्था नेडैक के सहयोग से 11 से 13 अक्तूबर तक दिल्ली के प्रगति मैदान में लगाया जाएगा।
निर्यात संवर्द्धन फोरम बनेगा
पीयूष गोयल ने बताया कि सहकारी क्षेत्र में काम कर रहे अमूल, इफको, एपीडा और नेफेड जैसे संगठनों का निर्यात बढ़ाने के लिए को-ऑपरेटिव सेक्टर एक्सपोर्ट प्रोमोशन फोरम (सीएसईपीएफ) बनाया जाएगा। यह इस क्षेत्र का शीर्ष संगठन होगा, जिसका मुख्य काम सहकारी क्षेत्र के संगठनों के उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना होगा। संगठन 20 से ज्यादा राज्यों के साथ मिलकर इस पर काम करेगा।
बनाई है उच्च स्तरीय समिति
कृषि क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन के लिए सरकार ने गत सोमवार को ही उच्च स्तरीय समिति बनाई है। इसके संयोजक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं। समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सहकारी संस्थाओं को मजबूती प्रदान कर कृषि उत्पादों के लिए विदेशी बाजारों तक पहुंच आसान बनाई जाएगी। इसका लाभ सीधे तौर पर देश के किसानों को होगा।
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