गुजरात में 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज कर सूपड़ा साफ कर दिया। इस वर्ष इस राजनीतिक खबर के अलावा तटीय राज्य के सूरत शहर में हुए आग हादसे में 22 छात्रों के मारे जाने की खबरें भी सुर्खियों में रहीं।
भाजपा ने इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया। दिसंबर 2017 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी जिसके बाद विपक्षी पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। कांग्रेस ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को शामिल किया और ऐसी उम्मीद थी कि उनके साथ आने से इस प्रभावशाली समुदाय में नाराजगी का उसे फायदा मिलेगा।
राजनीति में औपचारिक रूप से आने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अहमदाबाद में अपना पहला भाषण दिया जबकि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री के गृह राज्य में प्रचार किया। हालांकि 23 मई को घोषित लोकसभा चुनाव परिणामों में भाजपा ने सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज कर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया।
इस हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने अक्टूबर में पूरी राज्य इकाई को भंग कर दिया। राज्य में 2019 के लोकसभा चुनाव की मुख्य बात गांधीनगर से लोकसभा में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का प्रवेश था। शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का स्थान लिया जो छह बार इस सीट से जीते थे।
हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हुए थे लेकिन वह चुनाव नहीं लड़ सके क्योंकि दंगा मामले में उन्हें दो वर्ष जेल की सजा सुनाई गई थी। ओबीसी वर्ग में पाटीदार समुदाय के आरक्षण का विरोध करने वाले युवा नेता के रूप में उभरे अल्पेश ठाकोर कांग्रेस को छोड़कर जुलाई में भाजपा में शामिल हुए लेकिन अक्टूबर में उन्हें राधनपुर सीट पर हुए उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। छह विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को कुछ राहत मिली और वह तीन सीटों को बनाए रखने में सफल हुई।
नौकरशाह से विदेश मंत्री बने एस जयशंकर जुलाई में गुजरात से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। इस साल सूरत में 24 मई की शाम चार मंजिला तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में आग लग गई। इस हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई और 19 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे।
गोधरा हिंसा के बाद जांच के लिए गठित नानावती आयोग की रिपोर्ट को दंगों के 17 साल बाद दिसंबर में सार्वजनिक किया गया। इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके प्रशासन को ‘क्लीन चिट’ दी गई। सितंबर में गुजरात उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों द्वारा दाखिल 120 याचिकाओं को खारिज कर दिया। किसानों ने अब उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। गुजरात में इस वर्ष मानसून के दौरान कई क्षेत्रों में अधिक बारिश और बाढ़ के कारण फसलें बेकार हो गईं।
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