नई दिल्ली। यह भगवान शिव का महीना सावन है, मुझे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से न्याय की पूरी उम्मीद है क्योंकि इन्होंने महिलाओं और बेटियों के प्रोत्साहन के लिए बहुत सारे अच्छे काम किए हैं। भगवान भोलेनाथ मेरी जरूर सुनेंगे, मैं निराश हूं लेकिन उम्मीद नहीं हारी हूं। यह कहना है उस दुखियारी मोहनी सलारिया का जोकि अपने पति की वजह से लगभग ढाई साल से अपनी सात साल की बेटी को गले लगाए अपनी मां के यहां घुट-घुट कर जीवन बसर कर रही है।
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मोहनी अपने पति के एक अंतरराष्ट्रीय महिला तीरंदाज से नाजायज सम्बन्धों की बात पूर्व खेल मंत्री जीतू पटवारी तथा पूर्व व वर्तमान खेल संचालकों तक को रो-रोकर बता चुकी है लेकिन उसके दर्द को समझने की किसी ने कोशिश नहीं की। कहते हैं जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है। मोहनी के जीवन में केन्द्रीय मंत्री और भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अर्जुन मुण्डा भगवान स्वरूप ही प्रकट हुए हैं। श्री मुण्डा ने जबलपुर के रानीताल खेल परिसर में संचालित मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी के मुख्य सलाहकार प्रशिक्षक रिछपाल सिंह के कृत्यों को गम्भीरता से लेते हुए 11 जुलाई, 2020 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र प्रेषित करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया है।
श्री मुण्डा ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में लिखा है कि चूंकि प्रशिक्षक पर किसी और ने नहीं बल्कि उसकी पत्नी ने आरोप लगाए हैं लिहाजा इस मामले की तुरंत जांच कराकर भारतीय तीरंदाजी संघ और मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी की धूमिल होती छवि को बचाया जाना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री मुंडा ने पत्र में एकेडमी के प्रशिक्षक रिछपाल सिंह की पत्नी की शिकायतों एवं मीडिया में प्रकाशित खबरों को काफी गम्भीर माना है। उन्होंने पत्र में लिखा कि कोच पर लगे आरोपों से तीरंदाजी खेल के साथ-साथ मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी की छवि भी धूमिल हो रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान से आग्रह किया कि इस मामले में निर्धारित समय सीमा में जांच कराकर उसकी रिपोर्ट संघ को भी भेजी जाए ताकि आगे निष्पक्ष कार्रवाई की जा सके।
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मोहनी की जहां तक बात है वह संचालनालय खेल भोपाल के आला अधिकारियों से करीब ढाई साल से अपने पति के कृत्यों के साथ स्वयं का परिवार टूटने से बचाने की गुहार लगा रही है लेकिन उसे आश्वासन मिलने के अलावा कुछ भी नसीब नहीं हुआ। अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते प्रशिक्षक का दुस्साहस इस कदर बढ़ गया कि उसने पत्नी से छुटकारा पाने के लिए जम्मू की अदालत में वाद भी दायर कर दिया। इतना ही नहीं उसने खेल अधिकारियों को झूठे शपथ-पत्र से भ्रमित कर मामले को रफा-दफा करने की भी नापाक कोशिश की।
पिछले साल प्रशिक्षक और उसकी शिष्या को भारतीय खेल प्राधिकरण के रोहतक (हरियाणा) केन्द्र में लगे जूनियर नेशनल कैम्प से एक साथ 21 से 24 जुलाई, 2019 तक गायब रहने की भी खूब चर्चा रही। तब साई ने इस वाकये के सिलसिले में शिविर से सम्बन्धित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद फैसला किया गया कि खिलाड़ी और प्रशिक्षक पर अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए शिविर से बाहर कर दिया जाए। साई ने तीरंदाज और प्रशिक्षक को भेजे गए पत्र में लिखा था कि नेशनल कैम्प में अनुशासन का ध्यान रखना सबसे अहम है और सक्षम अधिकारियों ने इसे गम्भीरता से देखा जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत आपका नाम मौजूदा नेशनल कैम्प से तुरंत प्रभाव से हटाया जाता है। एक साल पूर्व के इस मामले से खेल विभाग के साथ ही जबलपुर का हर सदस्य वाकिफ है लेकिन मोहनी सलारिया की मदद करने की बजाय उसे फुटबाल बना दिया गया। इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और जिस प्रशिक्षक का मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी से चार साल का अनुबंध 28 फरवरी, 2020 को ही समाप्त हो चुका है, उसका नाम विभाग द्वारा द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है।
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संचालनालय खेल, मध्य प्रदेश के अब तक के रवैए से आजिज, मोहनी सलारिया ने आखिरकार न्याय के लिए केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू के व्यक्तिगत मेल पर अपना एक शिकायती पत्र भेजा। यह पत्र मोहनी द्वारा भारतीय तीरंदाजी संघ के सचिव प्रमोद चंद्रूकर को भी भेजा गया। भला हो प्रमोद चंद्रूकर का जिन्होंने भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अर्जुन मुण्डा को प्रशिक्षक के खिलाफ समाचार-पत्रों में प्रकाशित खबरों की कतरनें और केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू को प्रेषित पत्र भेज दिए और श्री मुण्डा ने मामले की गम्भीरता को संज्ञान में लेते हुए 11 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र प्रेषित कर इस बात के संकेत दिए कि वह खेलों में कदाचार के खिलाफ हैं।
प्रशिक्षक रिछपाल के मामले में सब कुछ शीशे की तरह साफ था बावजूद पूर्व खेल मंत्री जीतू पटवारी ने मोहनी को न्याय दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। मोहनी की कही सच मानें तो वह तीन मर्तबा जीतू पटवारी से उसका परिवार बचाने की गुहार लगाने के साथ पूर्व संचालक खेल डा. एस.एल. थाउसेन से मिलकर भी अपना दुखड़ा खूब रोई। उसने पूर्व संचालक वी.के. सिंह को भी पत्र प्रेषित किया लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात निकला। 10 जुलाई को संचालक खेल का पदभार ग्रहण करने वाले पवन कुमार जैन को भी मोहनी पत्र प्रेषित कर चुकी है। श्री जैन ने दुखियारी को भरोसा दिया है कि उसे इंसाफ जरूर मिलेगा। श्री जैन भी इस बात से हैरत में हैं कि जिस प्रशिक्षक रिछपाल का अनुबंध 28 फरवरी को ही समाप्त हो चुका है, वह जबलपुर में क्यों और कैसे रुका है। भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अर्जुन मुण्डा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र को 17 दिन हो चुके हैं लेकिन जांच की आंच कहां तक पहुंची, इसका भान किसी को नहीं है।
मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ का रवैया ढुलमुल और गैरजिम्मेदाराना
प्रशिक्षक रिछपाल और उसकी पत्नी के मामले में मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ का रवैया भी ढुलमुल और गैरजिम्मेदाराना कहा जा सकता है। मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ की सचिव प्रीति जैन और उनके पति भारतीय तीरंदाजी संघ के उपाध्यक्ष धन्य कुमार जैन (डी.के. जैन) को इस मामले में सब कुछ पता है, लेकिन इन लोगों ने भी मोहनी की मदद नहीं की। संघ की सचिव होने के नाते प्रीति जैन को भारतीय तीरंदाजी संघ के साथ ही संचालनालय, खेल भोपाल को कम से कम एक पत्र तो लिखना ही था लेकिन इन्होंने भी अपने दायित्व का निर्वहन करने की जहमत नहीं उठाई। हां, रिछपाल की पल-पल की गतिविधियों से मोहनी सलारिया के कान जरूर भरती रहीं।
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