पाक क्रिकेटर से बेटी की शादी करने जा रहे शख्स ने खुद को बताया था श्रीराम का वंशज!

नई दिल्ली। पाकिस्तान के क्रिकेटर हसन अली से अपनी बेटी शामिया आरजू की शादी तय करने जा रहे लियाकत अली खुद को भगवान राम और कृष्ण का वंशज बताते हैं. उनके इस बयान पर 2017 में एक नई बहस छिड़ गई थी कि क्या वाकई मेव मुस्लिम भगवान राम और कृष्ण के वंशज हैं? लियाकत अली ने तब एक चैनल से बातचीत में दावा किया था कि मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज जबकि छिरकलोत गोत्र के लोग यदुवंशी हैं.

लियाकत अली मेवात के पूर्व खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी रह चुके हैं. उनकी बेटी शामिया आरजू एयर अमीरात में फ्लाइट इंजीनियर हैं, जिनका पाकिस्तानी क्रिकेटर हसन अली से निकाह होने जा रहा है. नूंह के पास चंदैनी गांव के रहने वाले लियाकत ने खुद को दहंगल गोत्र से जुड़ा बताया था.

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एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा था कि मेव राजस्थान तक फैले हैं. चित्तौड़गढ़ जिले में भी हमारे 85 गांव हैं. हमारी यहां शादियों में गाना होता है, जिसके बोल हैं, ‘गढ़ घासेड़ों गांव पाल कौ बड़ो भरोसो. दादा रामचंद्र औतार राज रावण को खोसौ.’ वह कहते हैं कि मेवात के 360 गांवों की दहंगल खाप राम के वंशज हैं.

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मेवात के वरिष्ठ पत्रकार युनूस अल्वी कहते हैं कि लियाकत अली के इस बयान पर मेवात के इतिहासकार दो धड़ों में बंट गए थे. हालांकि, ‘मेवात एक खोज’ नामक पुस्तक लिखने वाले इतिहासकार सिद्दीक अहमद ने लियाकत अली के इस दावे को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि “मेवात के मुसलमान सूर्यवंशी, चंद्रवंशी और यदुवंशी तो हैं, लेकिन राम और कृष्ण की औलाद नहीं. जो दावा किया गया है वह सियासी लगता है.” जबकि लियाकत कह रहे थे कि वे मुसलमान हैं इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन उनके वंशज और पूर्वज नहीं बदल सकते.

क्या अन्य मुस्लिमों से अलग हैं मेव?
मुसलमानों में दूध का रिश्ता छोड़कर और कहीं भी शादी हो जाती है. लेकिन मेवात के मुसलमान ऐसा नहीं करते. वह हिंदुओं की तरह गोत्र और पाल को देखकर शादी करते हैं. मेव निकाह तो करवाते हैं लेकिन लड़का-लड़की खोजने में हिंदुओं की तरह गोत्र का फार्मूला लागू करते हैं. जहां लड़की देते हैं वहां से लेते नहीं हैं. यानी मेव गोत्र के हिसाब से शादी करते हैं.
मेवात के मुस्लिम
मेवात के इतिहासकार सिद्दीक अहमद मेव कहते हैं कि मेवात में क्षत्रियों को कन्वर्ट करके मुसलमान बनाया गया था. पहला कन्वर्जन मोहम्मद बिन कासिम के वक्त सन् 712 में हुआ. दूसरा कन्वर्जन 1053 में सैय्यद सालार मसूद गाजी (महमूद गजनवी के भांजे) के वक्त और तीसरा वर्ष 1192-93 में हुआ. अहमद बताते हैं कि 1358 में फिरोजशाह तुगलक के शासन में भी यहां एक कन्वर्जन हुआ था.

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पत्रकार युनूस अल्वी कहते हैं कि मेवात क्षेत्र से कई लड़कियों की शादी पाकिस्तान में हुई है, लेकिन हाईप्रोफाइल होने की वजह से यह रिश्ता खास है. इसीलिए इसकी चर्चा है. शामिया के कुछ रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं. वहीं से यह शादी तय हुई है.

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