
नई दिल्ली। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार शाम को 63 साल की उम्र में निधन हो गया। राजनीति में अपने सरल और सीधे स्वभाव के कारण चर्चा में रहने वाले पर्रिकर एक मंझे हुए राजनेता थे। पर्रिकर देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक हैं जिन्हें देश का युवा अपने रोल मॉडल के तौर पर देखता है। पर्रिकर एक साल से पैनक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे. .पर्रिकर ने वादा किया था कि वह अपनी आखिरी सांस तक गोवा की सेवा करेंगे और उन्होंने वाकई में यह किया भी।
30 जनवरी को पर्रिकर ने गोवा का बजट पेश किया था। उन्होंने कहा था, ‘आज मैं एक बार फिर वादा करता हूं कि मैं पूरी ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ और अपनी अंतिम सांस तक गोवा की सेवा करूंगा. मुझमें काफी जोश है और मैं पूरी तरह होश में हूं।’
10 फरवरी को पर्रिकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ गोवा में बीजेपी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यहां उन्होंने कहा था, ‘मैं आज ज्यादा नहीं बोलूंगा। मैं चुनाव के लिए अपने बड़े भाषणों को बचा रहा हूं।’ हालांकि वह लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार नहीं कर सके। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद पर्रिकर ने काम करना नहीं छोड़ा। जून में भारत लौटने के तुरंत बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना काम संभाल लिया था।
गोवा में मांडवी नदी के ऊपर बने 5.1 किलोमीटर पुल उदघाटन समारोह में पहुंचे पर्रिकर ने अस्वस्थ होने के बावजूद जनता से पूछा था ‘हाउ इज द जोश’, जनता ने भी जवाब में कहा ‘हाई सर’। समारोह में इकट्ठे हुए लोगों से उन्होंने जोश में भरकर इस तरह से प्रतिक्रिया की थी।
मनोहर पर्रिकर सादगी इसी से समझी जा सकती है की वो सीएम बनने के बाद भी अपनी स्कूटर खूब चलाते थे। वह अमूमन हाफ शर्ट और साधारण पैंट पहनते थे। एक बार एक महिला मनोहर पर्रिकर के जनता दरबार में अपने बेटे के लिए लैपटॉप मांगने आई। वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि सर यह महिला योजना के अंतर्गत नहीं आती है। इसके बाद पर्रिकर ने अपने पैसे से उनके लिए लैपटॉप की व्यवस्था कराई। सीएम रहते हुए भी परिकर विमान में इकॅानमी क्लास में यात्रा करना पसंद करते थे। वह एयरपोर्ट पर यात्रियों के साथ लाइन में लगते थे और बोर्डिंग पास लेते थे. वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का भी इस्तेमाल करते थे।
मनोहर पर्रिकर के निधन पर एक पत्रकार ने यात्रा के दौरान उनके साथ बिताए गए पलों को शेयर किया है। हालांकि पत्रकार का यह आर्टिकल 16 अप्रैल, 2012 को पब्लिश हुआ था। आज रीडर्स के लिए उसे रीपब्लिश किया गया है। जर्नलिस्ट ने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए लिखा, ‘कल मैं गोवा से दिल्ली वापस वाया फ्लाइट लौट रहा था। मुझे उस वक्त बेहद आश्चर्य हुआ जब मैंने गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को उस फ्लाइट में देखा। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं था, जब मैंने किसी मुख्यमंत्री, मंत्री या नेता का साथ सफर किया हो. लेकिन मुझे आश्चर्य इस बात पर हुआ कि मनोहर पर्रिकर ने एयरपोर्ट पर राइट टाइम पर बोर्डिंग की। उस वाक्ये ने मुझे इतना प्रभावित किया कि वे यादें आज भी मेरे जेहन में जिंदा हैं।’
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