PM मोदी का प्लान: जम्मू और कश्मीर की तस्वीर बदलने के लिए जल्द हो सकता है ऐलान, नया लुक

जम्मू और कश्मीर की तस्वीर बदलने के लिए जल्द हो सकता है ऐलान
जम्मू और कश्मीर की तस्वीर बदलने के लिए जल्द हो सकता है ऐलान

जम्मू और कश्मीर में नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के कमान संभालने के बाद अब केंद्र सरकार इस केंद्र शासित क्षेत्र के कायाकल्प की तैयारी में जुट गई है. साइलेंट परफॉर्मर माने जाने वाले सिन्हा से मोदी सरकार की ये अपेक्षा है कि वो विकास की गाड़ी को जम्मू और कश्मीर में तेज दौड़ाएंगे.

सिन्हा उपराज्यपाल की शपथ लेने के बाद दिल्ली आए तो राजधानी में दो-तीन दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने कई मंत्रालयों के अधिकारियों से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शीघ्र ही जम्मू और कश्मीर के लिए बड़े प्लान का ऐलान कर सकते हैं.

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कश्मीर का नाम लेते ही सबसे पहले डल झील का ध्यान जेहन में आता है. असल में हो या फिल्मों के स्क्रीन पर, डल झील की खूबसूरती सभी को लुभाती रही है. सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार के प्लान में डल झील और उसके आसपास के क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं.

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डल झील का इलाका घनी आबादी वाला क्षेत्र है. पिछले कुछ वर्षों में यहां की स्थिति बद से बदतर होती गई. पहले ये इलाका सैलानियों से गुलजार रहता था. उन सैलानियों पर यहां शिकारे वालों, दुकानदारों और टूरिज्म सेक्टर से जुड़े अन्य लोगों की आमदनी निर्भर रहती थी. लेकिन पहले धारा 370 हटने के बाद बंदिशों और फिर कोरोना महामारी की वजह से सैलानियों पर आश्रित रहने वाले लोगों की आजीविका पर बुरा असर पड़ा

इस इलाके में पर्यावरण और टूरिज्म, फिलहाल दोनों की स्थिति संतोषजनक नहीं है, लिहाजा इसे नए सिरे से विकसित करने की तैयारी चल रही है.

जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार का विजन साफ: नक़वी

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के मुताबिक, क्षेत्रीय विकास को लेकर सरकार का विजन स्पष्ट है. काफी समय से उस इलाके की उपेक्षा हुई है. लिहाजा नई व्यवस्था लागू होने के बाद से जम्मू-कश्मीर, लेह, करगिल सभी इलाकों पर समान रूप से ध्यान दिया जा रहा है. अब विकास की रफ्तार को वहां और तेज किया जाना है.

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सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर प्रशासन संयुक्त रूप से जम्मू और कश्मीर के लिए विकास योजना का खाका बनाने में जुटे हैं.

कश्मीर की वास्तुकला, स्थानीय सांस्कृतिक धरोहरों व मूल्यों को ध्यान में रखकर नया श्रीनगर बनाने की तैयारी इसी ब्लू प्रिंट का हिस्सा है. सभी सुविधाओं के साथ नया श्रीनगर हाईटेक होगा.

श्रीनगर के साथ साथ जम्मू को भी नया लुक देने की तैयारी की जा रही है. आधुनिक तकनीक और पर्यावरण के उच्च मानकों को ध्यान में रखकर दोनों क्षेत्रों की तस्वीर पलटी जाएगी.

मनोज सिन्हा को क्यों सौंपी गई जिम्मेदारी?

जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए और वहां से धारा 370 को हटाए 5 अगस्त को एक साल पूरा हुआ. लेकिन ठीक उसकी पूर्व संध्या पर जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र के पहले उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के बदले जाने के फैसले से सभी को हैरानी हुई. लेकिन जैसे ही मनोज सिन्हा के नए उपराज्यपाल बनने का ऐलान हुआ तो स्पष्ट हो गया कि मोदी सरकार ने उनके राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए ये जिम्मेदारी सौंपी है.

उपराज्यपाल बदले जाने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे थे. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जरूर थी कि घाटी में राजनीतिक गतिविधियों को तेज करने और रूके पड़े विकास परियोजनाओं को गति देने पर बल दिया जाएगा.

जम्मू और कश्मीर से जब से धारा 370 हटाई गई है. और ये केंद्रशासित क्षेत्र बना है, तब से माना जा रहा था कि पॉलिटिकल बैकग्राउंड का शख्स ही वहां राजनीतिक दलों के नुमाइंदों और आम लोगों से बेहतर संवाद कायम कर सकता है.

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लेकिन केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित क्षेत्र बनने के बाद वहां पहले उपराज्यपाल के लिए मुर्मू पर भरोसा किया. मुर्मू जैसे खांटी प्रशासनिक अधिकारी को जम्मू कश्मीर में विकास की गाड़ी तेज दौड़ाने के लिए भेजा गया. उनके लगभग दस महीने के कार्यकाल को देखा जाए तो जम्मू कश्मीर में हिंसा की घटनाओं में 35 प्रतिशत की कमी आई. वहीं दूसरी तरफ विकास और रोजगार सृजन के मोर्चे की बात की जाए तो उस पर काम तो हुआ पर उतनी सफलता नहीं मिली जितनी अपेक्षित थी.

अब मोदी सरकार ने 61 साल के मनोज सिन्हा पर दांव खेला है. केंद्र में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे मनोज सिन्हा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और वाराणसी में विकास के लिए बेहतर काम किया.

राजनीतिक जानकर मानते हैं कि मनोज सिन्हा के पास सियासी सूझबूझ के साथ सबको साथ लेकर चलने का खास गुण है. विकास और रोजगार सृजन बढ़ाने के लिए ये कला बहुत मायने रखती है.

जन-प्रतिनिधियों को सुरक्ष

सरपंचों औऱ राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले के बीच राजनीतिक भरोसा कायम करना भी नए प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है औऱ दिल्ली से लौटने के तुरंत बाद मनोज सिन्हा ने 22 जिलों के सरपंचों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं से लंबी चौड़ी मुलाकात भी की. इस बैठक में जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठा. पिछले कुछ समय से घाटी में पंचों और सरपंचों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं. इन स्थानीय नेताओं में से अधिकतर का संबंध बीजेपी से है. पिछले कुछ हफ्तों में 6 स्थानीय नेताओं पर हमले हुए, जिनमें से 5 की मौत हो गई. इन हमलों को देखते हुए सरकार ने स्थानीय नेताओं, पंच-सरपंच जैसे जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा के लिए विशेष क्लस्टर जोन्स बनाए हैं.

दो जिलों में ट्रायल के तौर पर 15 अगस्त से शुरू हो रही है 4जी सेवा

घाटी में 4जी सर्विसेज शुरू करने को लेकर भी मांग तेज हो रही है. हाल ही में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 15 अगस्त से ट्रायल आधार पर जम्मू औऱ कश्मीर के एक-एक जिले में यह सेवा शुरू की जा रही है.

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बहरहाल जो भी है, जम्मू और कश्मीर के लोगों को भी इंतजार है कि विकास के प्रोजेक्ट्स केंद्र शासित क्षेत्र में तेजी से पूरे हों. सूत्रों के मुताबिक मनोज सिन्हा ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी छवि साइलेंट परफॉर्मर की है. बिज़नेस घरानों से इनके संबंध भी जम्मू और कश्मीर में रोजगार सृजन और कोरोना काल के बावजूद इकोनॉमी बूस्ट करने में मदद कर सकते हैं. आने वाले कुछ महीने बताएंगे कि अपने ट्रैक रिकॉर्ड के मुताबिक सिन्हा जम्मू और कश्मीर की तस्वीर को कितना बदलने में कामयाब रहते हैं.

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