सचिन पायलट के तेवर नरम पड़ने और राहुल-प्रियंका गांधी से रविवार को हुई मुलाकात के बाद राजस्थान कांग्रेस में मचा सियासी संकट फिलहाल थम चुका है। सचिन पायलट और उनके खेमे की तरफ से उठाए गए मुद्दों को सुनने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से 3 सदस्यीय पैनल का गठन करने को कहा गया। सचिन पायलट ने बताया कि आखिर वो क्या वजह रही कि उन्हें दिल्ली आना पड़ा और पिछले करीब एक महीने के दौरान उन्हें किन-किन चीजों को सहना पड़ा है। पूरे मुद्दे पर उन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स की राजनीतिक संपादक सुनेत्रा चौधरी से खुलकर बात की:
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सवाल- पिछले 30 दिन आपके लिए कैसे रहे?
जवाब- करीब 3-4 हफ्ते पहले, मुझे देशद्रोह का नोटिस दिया गया और एक पूर्व उप-मुख्यमंत्री और राज्य के पार्टी के अध्यक्ष के नाते मैंने इसे अपमानित महसूस किया। हम में से बहुत से लोग इससे आहत थे और हमारे कुछ सहयोगी दिल्ली आकर पार्टी संगठन को न सिर्फ एक मुद्दा बल्कि कई चीजों के बारे में बताना चाहते थे, जिसके बारे में हम लंबे समय से विचार कर रहे थे। एक बार जब शुरू हुआ तो बहुत सारे घटनाक्रम हुए, लेकिन मुझे लगता है कि हमने जो किया उसका उद्देश्य नेतृत्व के सामने जमीनी स्तर का फीडबैक लाना था। हम पार्टी मंच के भीतर इस मुद्दे को उठाने के लिए पहले दिन से अपने अधिकारों के दायरे में थे। हमने कहा कि हम इस मुद्दे को कांग्रेसियों, विधायकों के रूप में उठा रहे थे। मुझे नहीं लगता कि हमने जो कुछ भी किया वह सभी पार्टी विरोधी था।
सवाल- बहुत सारे कांग्रेसी नेता जो आपका समर्थन कर रहे थे उन्होंने कहा कि आप इन 18 विधायकों के साथ अज्ञातवास में गए बिना भी ये कर सकते थे?
जवाब- दिल्ली में अपने विचार रखने के लिए के लिए जैसे ही चले अगले ही दिन जयपुर में कई कार्रवाई हुई, कई एफआईआर और पुलिस केस। मैं ऑन रिकॉर्ड यह कहना चाहता हूं कि हम दिल्ली में थे ताकि अपने विचारों को रख पाएं और उसे सुना जाए। मुझे ऐसा लगता है कि जयपुर से जो प्रतिक्रियाएं आईं और जो कार्रवाई हुई उससे विधायकों को यह भरोसा नहीं हुआ कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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जहां तक विपक्षी दल की बात है, जो कुछ भी हो रहा था उसका फायदा लेने की कोशिश कर रहे थे, उन्होंने कुछ राजनीति की। हमने शुरुआत से खुद को स्पष्ट रखा कि पार्टी को छोड़ने और अन्य दल से जुड़ने का सवाल ही नहीं था। मुझे पता है कि कई सारी अफवाहें और कहानियां थी।
सवाल- ओके, 10 जुलाई के बाद हुए घटनाक्रम की बात करें। आप पार्टी को आगाह करने आए थे और जो हुआ वह उससे आगे निकल गया। क्या आपने कांग्रेस आलाकमान से बात नहीं की, जैसा कि आपने कल की है?
जवाब- दिल्ली और राजस्थान में पार्टी नेतृत्व के भीतर संचार के लिए जिम्मेदार विभिन्न पदों पर लोग हैं। उन चैनलों ने ज्यादा अच्छा काम नहीं किया, जैसा कि हम सभी बखूबी वाकिफ हैं। चूंकि, जयपुर में नोटिस से लेकर कोर्ट केस और निलंबन तक बड़ी तेजी से कार्रवाई की जा रही थी ऐसे में जो हमने करना था वो किया। अगर हम ऐसा नहीं करते और जो हम विश्वास करते हैं उसके साथ नहीं खड़े रहते तो आज हम यहां पर नहीं होते। मुझे लगता है कि सही समय पर सभी ने बात करने का फैसला किया और मुझे बहुत खुशी है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अब हम सभी को आश्वस्त किया है कि उठाए गए सभी मुद्दों के निवारण के लिए एक समयबद्ध रोडमैप विकसित किया जा रहा है।
सवाल- तो फिर आप कब अज्ञातवास में गए, आपका क्या मकसद था?
जवाब- सबसे पहले मैं ये बता दूं कि हम सभी दिल्ली में थे और कभी भी अज्ञातवास में नहीं थे, हम लोगों से बात कर रहे थे और घूमफिर रहे थे। मैंने कई सहयोगियों के साथ मुलाकात की और किसी के ऊपर कोई प्रतिबंध नहीं लगा था। लेकिन, हां हमारे कुछ सहयोगियों ने पुलिस से आशंकित जरूर महसूस किया। इसलिए, यह सब तालाबंदी हुआ। जब हमारी शिकायतें सुनी गई उस वक्त जिन चीजों को कहा गया कम से कम यह कहूंगा कि वह धर्मार्थ नहीं था।
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