यूनिक समय, लखनऊ । लोकसभा चुनाव-2024 की तैयारियों में युद्धस्तर पर जुटी भाजपा ने यूपी में बड़ा फेरबदल किया है। घोसी उपचुनाव में हार के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि भाजपा अपनी कमजोर कड़ियों को दुरुस्त करेगी। इसी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए यूपी में भाजपा ने 50 से अधिक जिलों के अध्यक्षों को बदलते हुए नए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। लोकसभा चुनाव-2024 को देखते हुए भाजपा हर कमियों को टटोल रही है। यूपी में जिलाध्यक्षों के बदले के पीछे जातीय और क्षेत्रीय राजनीति समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है।
लोकसभा चुनाव-2024
लोकसभा चुनाव-2024 मोदी सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह चुनाव एनडीए और विपक्षी दलों के नए गठबंधन इंडिया के लिए एक अग्निपरीक्षा है। विपक्ष किसी भी कीमत पर यह अवसर छोड़ना नहीं चाहता है, जबकि ठऊअ का लक्ष्य तीसरी बार मोदी की सरकार बनाना है।
यूपी भाजपाा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को और मजबूती देने इस बार पूर्व विधायक के अलावा एमएलसी को भी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है।एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा को वाराणसी का जिला अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। बलिया की जिम्मेदारी पूर्व विधायक संजय यादव को मिली है। आगरा, बरेली समेत कई जिलों के जिलाध्यक्ष को यथावत रहने दिया गया है।
इस बदलाव के जरिये भाजपा ने क्षेत्रीय राजनीतिक और जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा के लिए महत्वपूर्ण रहा है। यहां 80 सीटें हैं। यूपी में ओबीसी वोट बैंक 52% है। भाजपा ने जो लिस्ट जारी है, उसमें 98 नाम शामिल हैं।उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की ‘घोसी विधानसभा सीट’ पर सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह की जीत ने एनडीए को अपनी रणनीति बदलने पर विवश कर दिया है। घोसी चुनाव में सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह को 42672 वोटों से हराया है, सुधाकर को 1.24 लाख से अधिक, जबकि दारा सिंह को 81 हजार वोट मिले थे।
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