यूनिक समय, मथुरा: सर्वोदय हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें हॉस्पीटल की नई तकनीक के बारे में चर्चा की गई। इसके साथ ही 3डी एवं कंप्यूटर नैविगेटेड तकनीक से बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट और टोटल नी रिप्लेसमेंट के बारे बताया गया। प्रोजेक्टर के जरिये हॉस्पीटल में लगी हुई आधुनिक मशीनों को भी दिखाया गया। कुछ मरीजों को भी दिखाया गया जो अपनी उम्मीद खो बैठे थे। लेकिन यहां इलाज कराने के बाद वह चल-फिर रहे हैं।
पत्रकार वार्ता में दो मरीजों के केस के बारे में भी बात की गई, जिन्हें 3डी एवं कंप्यूटर नैविगेटेड जॉइंट रिप्लेसमेंट तकनीक की मदद से ठीक किया गया था।
दीपक [36] एवास्कुलर नेक्रोसिस (हड्डियों की बेजान टिशू) नाम की बीमारी के कारण बिल्कुल भी चल-फिर नहीं सकता था। कई अस्पतालों में इलाज करवाने के बाद भी दीपक को कोई फायदा नहीं मिला। सर्वोदय हॉस्पिटल में रेफर किए जाने के बाद मरीज की अच्छे से जांच की गई और उसे मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कराने की सलाह दी गई। प्लान के अनुसार 3 डी एवं कंप्यूटर नैविगेटेड बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी को सफलतापूर्क पूरा किया गया, जिसके बाद मरीज फिर से चलने फिरने में सक्षम हो सका।
मथुरा निवासी सूरजमल [57] का 6 साल पहले एक घातक एक्सीडेंट हुआ था। इमरजेंसी में इलाज के बाद मरीज की जान तो बच गई। उसके बाद से उनके घुटने में असहनीय दर्द होने लगा। विभिन्न अस्पतालों में 2 साल की थेरेपी के बाद भी उन्हें दर्द में कोई राहत नहीं मिली और कुछ ही समय में उन्हें चलने-फिरने में मुश्किल होने लगी। समस्या इतनी गंभीर हो गई कि उन्हें खड़े होने में भी दिक्कत हो रही थी। सर्वोदय अस्पताल में आने के बाद उन्हें टोटल नी रिप्लेसमेंट का सुझाव दिया गया। सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसके बाद से अब वे आराम से चल-फिर सकते हैं।
इस बारे में डॉ. सुजॉय भट्टाचार्य ने बताया कि ” आज के दौर में दुनिया में जोड़ प्रत्यारोपण के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आधुनिक तकनीक 3 डी एवं कंप्यूटर नैविगेटेड जॉइंट रिप्लेसमेंट तकनीक है जिसकी मदद से किसी के भी जोड़ को 100 % सटीकता से बदला जा सकता है।
सर्वोदय हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि “इतने सालों में, सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद में ऐसे कई मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया, जहां जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी ने मरीजों को एक नया जीवन दिया। आज के समय में मिनिमली इनवेसिव तकनीकों की मदद से मरीजों का इलाज करना बेहद सुरक्षित हो गया है, जिसमें उन्हें न्यूनतम दर्द, कम फिजियो थेरपि की आवश्यकता होता है और अस्पताल से जल्द ही डिस्चार्ज भी कर दिया जाता है।
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