लॉक डाउन में रेलवे ने तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड

अंबाला । भारतीय रेल ने अपना ही रचा इतिहास तोड़ दिया है। पंजाब के ढंढारीकलां से असम के न्यू जलपाइगुड़ी तक पहले दो इंजन और दो अतिरिक्त डिब्बों सहित 84 डिब्बों की अन्नपूर्णा मालगाड़ी दौड़ा कर रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन 22 अप्रैल को 116 डिब्बों की दो मालगाडि़यों के जरिये 3.13 लाख टन खाद्यान्न बिहार और असम तक पहुंचा कर नया रिकॉर्ड कायम कर लिया है। खाद्यान्न और अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएं पहुंचाने वाली इन मालगाडि़यों को रेलवे ने अन्नपूर्णा नाम दिया है।

उत्तर रेलवे ने पंजाब के ढंढारीकलां से असम के न्यू जलपाइगुड़ी तक दो इंजन और दो अतिरिक्त डिब्बों सहित 84 डिब्बों की अन्नपूर्णा मालगाड़ी चलाई थी तो उनने 49 घंटे 50 मिनट में 1634 किलोमीटर (किमी) का सफर तय कर इतिहास रचा था। पहले यह दूरी तय करने में 96 से 100 घंटे तक लग जाते थे। इसकी सराहना खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने की। रेल मंत्री द्वारा पीठ थपथपाने के बाद रेलवे अधिकारियों का उत्साह और बढ़ गया। इसके बाद 84 डिब्बों की अन्नपूर्णा मालगाड़ी की जगह 116 डिब्बों की मालगाडि़यां दौड़ाई गई, जिससे रेलवे का खर्चा भी बच गया और खाद्यान्न भी पहले की तुलना अधिक पहुंचाया जा सका। इसके बाद 9 अप्रैल को 92 डिब्बों की मालगाड़ी चलाकर 2.57 लाख टन खाद्यान्न पहुंचाया गया था, वहीं अब इस रिकॉर्ड को भी तोड़ रेलवे ने नया रिकॉर्ड बना दिया है।

इस तरह बनाया गया अन्नपूर्णा मालगाड़ियों का रूट

उत्तर रेलवे को पंजाब से असम और बिहार के लिए खाद्यान्न और जरूरी वस्तुएं पहुंचानी थी। 58 डिब्बों की एक मालगाड़ी तलवंडी से भैराबी स्टेशन तक जानी थी, जबकि दूसरी मालगाड़ी को मोगा से न्यू तिनसुकिया जाना था। इन दोनों ट्रेनों में खाद्यान्न और जरूरी वस्तुएं लोड कर पंजाब के लुधियाना रेलवे स्टेशन पर लाया गया। 58-58 डिब्बों की दो मालगाड़ियों को अन्नपूर्णा बनाकर बिहार के छपरा 1138 किलोमीटर के लिए रवाना किया गया। एक मालगाड़ी पहले जहां करीब 45 घंटे में पहुंचती थी, अब 116 डिब्बों की मालगाड़ी महज 31 घंटे में पहुंच गई।

इसी प्रकार मोगा से कोकराझार और जगरांव से जोरहट तक अलग-अलग मालगाड़ियां असम तक जानी थी। दोनों को पहले लुधियाना लाया गया और फिर असम के न्यू जलपाइगुड़ी रवाना कर दिया गया। इस बार 1642 किलोमीटर का सफर 53 घंटे 55 मिनट में पूरा हुआ, जबकि पहले 84 डिब्बों की मालगाड़ी 49 घंटे 50 मिनट में पहुंची थी। इस सफर को तय करने में लॉकडाउन से पहले 96 से 100 घंटे तक लग जाते थे।

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