जीवन में संघर्ष बहुत है लेकिन जो इन समस्याओं के सामने हार नहीँ मानता वह शिखर पर निश्चित ही पहुँचता है। ऐसी ही मिशाल पेश की है बाल्टीकरी खेड़ा गाँव की लड़की नमिता चौधरी ने । नमिता की शादी राजस्थान में की गयी लेकिन किश्मत को कुछ और ही मंजूर था । एक दुर्घटना में उसके पति की मृत्यु हो गयी। अब उसका सहारा एक छोटा बच्चा माधव ही रह गया जिसे सब प्यार से मन्नू कहते । वह अब एक विधवा कहलाने लगी और विधवाओं के साथ हुई अमानवीयता का तो इतिहास भी साक्षी रहा है । जब वह अपने घर के बाहर होती तो कोई इसलिए अपनी बाइक कहीं जाने के लिए न निकालता क्योंकि विधवा सामने पड़ गयी । सुबह उसके चेहरे को देख लेना तो अशुभ मान लिया जाता । लेकिन उसने हार नहीं मानी और सुबह- सुबह दौड़ने जाना ठंड,बरसात हर मौसम में जारी रखा और नन्हे बच्चे का ख्याल रखते हुए निरंतर दोपहर को गहन अध्ययन में जुट जाती। समाज निरंतर उनकी आलोचना करता और ससुराल में तो प्रचलित रहता कि हमारे बेटे को निगल गयी। बाहर निकलती तो लोग सांत्वना तो न देते लेकिन उनकी नजर कुछ और ही ढूढ़ती रहती। इन लोगों को जवाब देने के लिए तुम्हारे अनेकों भाई तुम्हारे साथ थे। वह मेहनत करती रही और आज उसका सब इंस्पेक्टर की परीक्षा का परिणाम आया है और वह चुन ली गयी है। तो सामाजिक कुरीतियों से निरंतर टकराते हुए तुमने जीवन में सिद्ध किया है कि – मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।
बहिना सफल होने पर अब सभी तुम्हारी प्रशंसा करेंगे। कहेंगे हम जानते थे कुछ बेहतर करेगी । लेकिन तुम शुभकामनाएँ सभी की लेना ,मदद सभी की करना लेकिन उन लोगों को याद भी रखना। जो समाज में जहर बोते हैं।
#बहुत शुभकामनाएं निरंतर प्रगति करो और इससे भी बड़ा पद प्राप्त करो इसी आशा के साथ तुम्हारा भाई।
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