- झरिया विधानसभा सीट पर जेठानी-देवरानी की जंग
- कोयलांचल में आमने-सामने दो दबंग परिवार
- सूर्यदेव सिंह के परिवार में सियासी अदावत
आमने सामने जेठानी-देवरानी
झारखंड के झरिया विधानसभा क्षेत्र में इस बार एक ही परिवार की दो बहुएं इस बार चुनावी रण में आमने-सामने हैं. भारतीय जनता पार्टी ने युवा नेत्री रागिनी सिंह को झरिया विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है. इसी सीट से कांग्रेस ने पूर्णिमा सिंह को टिकट दिया है. रागिनी सिंह सिंह मेंशन से आती हैं, जबकि पूर्णिमा सिंह रघुकुल परिवार की बहू हैं.
पूर्णिमा और रागिनी सिंह का ये मामूली परिचय है. दरअसल इस परिवार में खूनी रंजिश का लंबा इतिहास है. रागिनी सिंह के पति संजीव सिंह ने 2014 में झरिया विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की. संजीव सिंह ने 2014 में चुनाव में जिस शख्स को मात दिया था वो थे उनके चचेरे भाई नीरज सिंह. कांग्रेस के उम्मीदवार रहे नीरज सिंह को संजीव सिंह ने 30 हजार वोटों से शिकस्त दी थी.
सिंह मेंशन और रघुकुल घराने की कहानी
संजीव सिंह का मौजूदा पता धनबाद का चर्चित सिंह मेंशन है. इसे उनके पिता सूर्यदेव सिंह ने बनाया था. सूर्यदेव सिंह इस परिवार के मुखिया हुआ करते थे. सूर्यदेव सिंह के चार भाई और थे. इनके नाम थे राजनारायण सिंह, बच्चा सिंह, विक्रम सिंह और रामधीर सिंह. सूर्यदेव सिंह यूपी के बलिया से 1950 के दशक में नौकरी की तलाश में धनबाद आए थे. यहां पर हालात ऐसे बने कि वो इस इलाके के बाहुबली बन गए. उन्होंने लंबे समय तक यहां से कोयले के कारोबार पर कब्जा रखा. इसी दौरान उन्होंने सियासत में प्रवेश किया. सूर्यदेव सिंह 1977, 1980, 1985 और 1990 में झरिया से लगातार विधायक रहे. इसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती देवी साल 2005 और साल 2009 में विधायक बनीं. 1991 में सूर्यदेव सिंह का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. सूर्यदेव सिंह की मृत्यु के बाद सिंह मेंशन का कोयले के कारोबार पर वर्चस्व खत्म होता चला गया.
2014 में झरिया सीट से चुनाव जीतने वाले संजीव सिंह सूर्यदेव सिंह के बेटे थे. नीरज सिंह उनके चचेरे भाई थे. नीरज सिंह के पिता का नाम था राजनारायण सिंह. नीरज सिंह अपने चाचा सूर्यदेव सिंह के परिवार से अलग रहते थे और उनके घर का नाम था रघुकुल. धनबाद के डिप्टी मेयर रहे नीरज सिंह ने अपनी व्यवहार कुशलता की वजह से 2009 से 2017 के बीच रघुकुल को सिंह मेंशन के बरक्स स्थापित कर दिया था. ये दो घराने कोयलांचल में सत्ता के दो केंद्र बन गए थे.
नीरज सिंह पर चली थीं 67 गोलियां
2014 में कांग्रेस के टिकट पर नीरज सिंह झरिया विधानसभा से चुनाव में खड़े हुए, उन्होंने चुनौती दे रहे थे उनके अपने ही चचेरे भाई संजीव सिंह. संजीव सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. संजीव सिंह ने 30000 वोटों के मार्जिन से नीरज सिंह को हरा दिया. लेकिन नीरज और संजीव के बीच की सियासी अदावत जारी रही. 21 मार्च 2017 को पूर्व डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता नीरज सिंह की हत्या कर दी गई. भाड़े के शूटरों ने AK-47 से नीरज सिंह की गाड़ी पर हमला किया था जिसमें नीरज समेत 4 लोगों की मौत हो गई थी. कहा जाता है कि कुल 67 गोलियां उनकी कार पर फायर की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से 25 गोलियां उन्हें लगी थीं. इस हत्या का आरोप झरिया के बीजेपी विधायक संजीव सिंह पर लगा. इस हत्याकांड में संजीव सिंह 11 अप्रैल 2017 से धनबाद जेल में बंद हैं.
रागिनी को बीजेपी से मिला टिकट, पूर्णिमा ने थामा कांग्रेस का हाथ
अब 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में दबंग परिवार की दो महिलाएं झरिया सीट के रण में आमने-सामने हैं. रागिनी सिंह को बीजेपी से टिकट मिला है तो कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिमा मैदान में हैं. पारिवारिक रिश्ते में रागिनी सिंह जेठानी हैं, तो पूर्णिमा सिंह देवरानी. रागिनी सिंह को अपने काम पर भरोसा है तो पूर्णिमा के साथ लोगों की सहानुभूति है. नीरज सिंह के छोटे भाई हर्ष सिंह सिंह मेंशन का नाम लिए बिना कहते हैं, ‘झरिया को एक राजनीतिक परिवार अपना जागीर समझता है, जो उनके सामने आता है उसका सफाया कर दिया जाता है, मेरे भाई की शहर के व्यस्त इलाके स्टील गेट पर हत्या कर दी गई थी. इसकी वजह ये थी कि वे तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे थे.’ वहीं कांग्रेस उम्मीदवार पूर्णिमा सिंह कहती है कि वो बुनियादी मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगी, जैसे पानी, सड़क, 90 सालों से माइंस में लगी आग. पूर्णिमा सिंह का कहना है कि जनता के दरबार में होने वाली इस परीक्षा में वे खरी उतरेंगी.
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