नई दिल्ली. एक समय भारतीय क्रिकेट टीम के सितारे रह चुके बंगाल के बल्लेबाज मनोज तिवारी ने रणजी ट्रॉफी में फर्स्ट क्लास क्रिकेट का अपना पहला तिहरा शतक जड़ा. मनोज ने ग्रुप ए के मैच में हैदराबाद के खिलाफ नाबाद 303 रन की पारी खेली. इस पारी के बाद उन्हें उम्मीद है कि नेशनल चयनकर्ताओं का ध्यान उनकी तरफ आएगा.
इस सीजन के शुरुआत में पहले कप्तानी जाने और फिर आईपीएल (IPL) में नजरअंदाज किए जाने के बाद तिवारी ने खुद को ही चैलेंज दिया कि वह खुद को साबित करके दिखाएंगे और उन्होंने ऐसा कर भी दिखाया. मगर वह करियर का पहला फर्स्ट क्लास तिहरा शतक लगाने के बावजूद भी दुखी हैं, क्योंकि वे इस बात को बखूबी जानते हैं वह अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी से भी नेशनल चयनकर्ताओं की नजर में नहीं आ पाएंगे. दरअसल जब तिवारी यह आतिशी पारी खेल रहे थे तो उस समय कोई भी चयनकर्ता मैदान पर मौजूद नहीं था. मनोज ने आखिरी इंटरनेशनल मैच 2015 में खेला था.
टीम में जगह मिलना मुश्किल
मनोज तिवारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि जब राष्ट्रीय चयनकर्ता अपने राज्य से हो तो, काफी उम्मीदें हो जाती है. कई बार देखा गया है कि चयनकर्ता अपने राज्य के खिलाड़ियों पर नजर रखते हैं, मगर यदि कोई अपने राज्य के खिलाड़ियों का समर्थन नहीं करता है तो इससे काफी दुख होता है. उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि उनका तिहरा शतक चीजों में कितना बदलाव लाता है. उन्हें टीम इंडिया में खुद की जगह बनती मुश्किल लग रही है, क्योंकि उनके अनुसार मौजूदा टीम इंडिया का हर एक खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.
34 साल के तिवारी के नाम 27 फर्स्ट क्लास शतक है, जिसमें पांच दोहरे शतक और एक तिहरा शतक है. भले ही उन्होंने तिहरा शतक जड़ दिया हो, मगर मुंबई के खिलाफ 2006-2007 रणजी ट्रॉफी फाइनल में उनकी 94 रन की पारी ज्यादा यादगार है. खुद तिवारी भी इस पारी को अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी मानते हैं. उनका मानना है कि उन्होंने जहीर खान, अजीत अगरकर और रमेश पोवार जैसे गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी की थी. इस पारी से तिवारी को भारतीय टेस्ट टीम में जगह मिली. मगर टेस्ट डेब्यू से ठीक एक दिन पहले उनके कंधों में चोट लग गई और वह टीम से बाहर हो गए. उन्हें अगला मौका कुछ महीनों बाद मिला. जहां उन्होंने ब्रेट ली जैसे गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी की.
टीम से बाहर होने के बाद संन्यास लेने वाले थे तिवारी2011 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ मेडन वनडे शतक जड़ा. मगर इसके बाद उन्हें टीम में वापसी के लिए सात महीनों का इंतजार करना पड़ा. तिवारी ने खुलासा किया शतक जड़ने के बाद जब उन्हें टीम से बाहर किया गया तो उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने के बारे में सोचा. मगर वह यह फैसला नहीं ले पाए, क्योंकि यह उनका फैसला नहीं होता. वह जानते थे कि यह फैसला सिर्फ उनके करियर को ही नुकसान नहीं पहुंचाएगा, बल्कि उनके परिवार पर भी असर डालेगा. उन्होंने कहा कि वह काफी भावुक हैं. वह काफी राेए. जब भी वह बुरा महसूस करते हैं या अधिक भावुक हो जाते है, तो वह अंदर से रोते हैं. मगर उदास नहीं होते, क्योंकि उनके कंधों पर काफी जिम्मेदारियां हैं और वह उन जिम्मेदारियों से बचना नहीं चाहते.
पत्नी को समर्पित किया तिहरा शतक
मनोज तिवारी ने तिहारा शतक अपनी पत्नी सुष्मिता को समर्पित किया. उन्हाेंने बताया कि जब उन्हें आईपीएल (IPL) में कोई खरीदार नहीं मिला और दोनों ने काफी चर्चा की. उनकी पत्नी ने उन्हें काफी प्रेरित किया. एक दिन पहले ही उन्होंने नॉट आउट 156 रन जड़े थे, जिसके बाद उनकी पत्नी ने तिहरा शतक जड़ने के लिए कहा था.
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