लखनऊ। प्रदेश के अतिदोहित 121 ब्लाक में अब सीधे नलकूप से सिंचाई नहीं की जा सकेगी। साथ ही इन विकासखण्डों में पानी की बर्बादी करने पर जुर्माना वसूलने समेत कई अन्य सख्त कदम भी उठाए जाएंगे। सरकार प्रदेश के 820 ब्लाकों में से इन 121 ब्लाकों के भूजल स्तर को सुधारने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाने जा रही है। इसके तहत खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुके इन ब्लाकों के भूजल स्तर में सुधार लाने के लिए सरकार इजराइली तकनीक का सहारा लेगी। इनमें इन सभी विकास खण्डों में खेतों की सिंचाई सीधे नलकूपों से होकर स्प्रिंकलर एवं ड्रिप पद्धति से करना होगा। ताकि बूंद-बूंद पानी का सही प्रयोग हो सके।
साथ ही इन ब्लॉकों में जगह-जगह रेन वाटर एवं वेस्ट वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली विकसित करना होगा ताकि तेजी से भूजल रिचार्ज हो सके। भूगर्भ जल विभाग इसके लिए इन सभी ब्लाकों के नागरिकों को जल संचयन तथा जल संरक्षण के प्रति जागरूक करेगा और प्रशिक्षण भी देगा। वहीं भूजल रिचार्ज के लिए घरों में प्रयोग के बाद नालियों में बेकार बह जाने वाले जल को उस घर के नजदीक ही छोटे लेकिन गहरे गड्ढ़े में गिराने की व्यवस्था होगी। ताकि यह बेकार जल भूगर्भ में रिचार्ज हो सके। प्रदेश सरकार जल्द ही इससे संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराएगी।
इन ब्लाकों में नलकूप परियोजनाओं पर है प्रतिबन्ध
अतिदोहित इन ब्लाकों में लघु सिंचाई एवं अन्य विभागों द्वारा चलाई गई नलकूप योजनाओं मसलन नि:शुल्क बोरिंग, मध्यम गहरी बोरिंग, गहरी बोरिंग तथा सामूहिक नलकूप योजना के अलावा सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की राजकीय नलकूप योजना के तहत लगाए जाने वाले सभी प्रकार के नलकूप लगाने को सरकार ने दो वर्ष पूर्व ही प्रतिबन्धित किया है।
सबसे खराब स्थिति बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य की
भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में भूजल की सबसे अधिक खराब स्थिति बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य की है। दोनों क्षेत्रों में डार्क जोन वाले कुल 54 विकासखण्ड हैं। सरकार ने इन अतिदोहित विकास खण्डों को भूजल की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई लेकिन वह बहुत कारगर साबित नहीं हुई। अन्त में अब सरकार ने इन क्षेत्रों में भूजल रिचार्ज के साथ पानी की बर्बादी रोकने की दिशा में सख्ती करने का निर्णय किया है।
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