
यूनिक समय, मथुरा। कान्हा की नगरी मथुरा में गर्मी के इस मौसम में पीने के पानी का कारोबार करोड़ों रुपये तक पहुंच गया है, लेकिन यह व्यापार अब लोगों की सेहत के लिए खतरे की घंटी बनता जा रहा है। शहर और ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर बिना लाइसेंस और मानक प्रमाणपत्र के आरओ वाटर प्लांट संचालित हो रहे हैं, जहां से रोजाना लाखों लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है।
शहर के अधिकांश घरों और दुकानों में 20 से 30 रुपये प्रति केन की दर से आरओ पानी बेचा जा रहा है। यही नहीं, बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी बोतलबंद पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि यह पानी कहां से आ रहा है और कितना शुद्ध है, इस पर कोई नजर नहीं रखी जा रही।
गली-मोहल्लों में अवैध रूप से चल रहे वाटर प्लांट बिना किसी गुणवत्ता जांच के पानी की सप्लाई कर रहे हैं। बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स) प्रमाणपत्र की अनिवार्यता के बावजूद, कई प्लांट संचालक इसे प्राप्त नहीं करते, क्योंकि इसके लिए न सिर्फ फीस देनी होती है, बल्कि पानी की गुणवत्ता की जांच भी जरूरी होती है।
कुछ लोगों ने अपने घरों में सबमर्सिबल पंप लगाकर पानी को ठंडा कर सीधे सप्लाई करना शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया में गुणवत्ता मानकों की अनदेखी हो रही है, जिससे यह पानी लोगों को बीमार कर सकता है। पानी की बोतलों और पाउचों पर न तो रासायनिक तत्वों की जानकारी दी जाती है, न ही उत्पादन और समाप्ति तिथि लिखी जाती है।
जनहित में यह ज़रूरी है कि संबंधित विभाग जल्द कार्रवाई करें और पीने के पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं। वरना यह पानी लोगों की प्यास बुझाने के बजाय उनकी सेहत पर भारी पड़ सकता है।
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