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नई दिल्ली। कश्मीर मसले पर दुनिया से अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान खिसियाया हुआ है। अंदरूनी दिक्कतों और आर्थिक मोर्चे पर अपनी परेशानियों को छुपाने के लिए अब वह भारत से जंग के मंसूबे पाल रहा है। वहां के रेलमंत्री शेख राशिद अहमद बड़ी बेतकल्लुफी से बयान दे रहे हैं कि आगामी अक्टूबर या उसके बाद के महीने में भारत-पाकिस्तान के बीच पूरी तरह की जंग होगी।
रावलपिंडी में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर जंग का निर्णायक समय आ चुका है। दोनों देशों के बीच यह अंतिम युद्ध होगा। बहुत अच्छा फरमा रहे हैं राशिद साहब। बार बार जंग छेड़ने वाले पाकिस्तान को हर बार भारत ने अच्छी तरह से कुचला है। अबकी बार तो भारत हर मोर्चे पर कहीं ज्यादा तैयार और चुस्त है। उसके पास निर्णायक नेतृत्व भी है। सचमुच यह आखिरी ही जंग होगी राशिद साहब। आमीन।
सबक सीखने को तैयार नहीं
भारत-पाकिस्तान चार युद्ध लड़ चुके हैं। सब में करारी शिकस्त खाने के बावजूद पाकिस्तान अपनी इन कड़वी यादों से कोई सबक सीखने को तैयार नहीं दिखता और हेकड़ी दिखाते हुए जंग की बात बड़े ही अगंभीर तरीके से करता है।
लड़ चुके हैं चार जंग
1947 के बाद भारत से ही अलग हुए पाकिस्तान से हुई तीन जंग के केंद्र बिंदु में कश्मीर रहा। सिर्फ 1971 का जंग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की आजादी के लिए लड़ा गया। हर जंग का आगाज पाकिस्तान ने किया, लेकिन विजयी अंजाम भारत का रहा।
पहली जंग
बात अक्टूबर 1947 की है। कश्मीर रियासत को अपने में मिलाने के लिए पाकिस्तान ने जनजातियों और अपनी सेना से हमला बोल दिया। कश्मीर रियासत के महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। भारत ने रियासत के विलय की शर्त रखी। महाराजा ने विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए। फिर तो भारतीय सैनिकों की बंदूकें गरजने लगीं। पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। मामले में संयुक्त राष्ट्र को दखल करना पड़ा। एक जनवरी 1949 को संघर्ष विराम घोषित हुआ। सेना के मौजूदगी के आधार पर वास्तविक नियंत्रण रेखा अमल में आई। भारत के हिस्से दो तिहाई राज्य आया। जबकि पाकिस्तान के पास गुलाम कश्मीर, गिलगित और बाल्टिस्तान रह गया। अब भारत इन हिस्सों को लेने की कोशिश में है।
दूसरी जंग
पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत जम्मू कश्मीर में घुसपैठ कराना शुरू किया। भारत में पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला बोल दिया। 17 दिन युद्ध चला। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे ज्यादा इस युद्ध में टैंकों का इस्तेमाल हुआ। पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए और ताशकंद समझौता हुआ।
तीसरी लड़ाई
1971 में पूर्वी पाकिस्तान के रूप में अलग बांग्लादेश के आंदोलन ने जोर पकड़ा। ऑपरेशन सर्चलाइट के बाद लाखों बांग्लादेशियों ने भारत में शरण ली। भारत ने दखल दिया। पाकिस्तान ने भारत की पश्चिमी सीमा पर हमले किए। भारतीय सेना की रणनीति के आगे उनकी एक न चली। दो हफ्तों तक चली जंग में भारत उनके बड़े भूभाग पर कब्जा किया। उनके 90 हजार सैनिकों को समर्पण करना पड़ा। बहरहाल भलमनसाहत में भारत ने जीते भूभाग लौटा दिए।
कारगिल जंग
1999 में पाकिस्तानी सैनिक कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाकर बैठ गए। पता चलने पर भारत ने घुसपैठियों को भगाने के लिए ताकत झोंक दी। दो महीने तक जंग चली। भारत ने एक-एक करके अपनी सभी चोटियों पर कब्जा कर लिया। व्यापक पैमाने पर जंग छिड़ने की आशंका के चलते अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने पाकिस्तान पर पीछे हटने का दबाव डाला। भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे खदेड़ा। इस जंग में दोनों ही पक्षों की जनधन की बड़ी हानि हुई।
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