महाराष्ट्र की राजनीति मे चल रहा दंगल खत्म होने की बजाय लगातार बढ़ता ही जा रहा है। शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने के कई दिन से कयास लगाए जा रहे हैं। इसके लिए तीनों पार्टियों के नेताओं ने कई दावे भी कर लिए हैं, लेकिन अंत में और समय बढ़ाया जा रहा है। इसी बीच भाजपा के नेता भी दावा कर रहे हैं कि वे सबसे बड़ी पार्टी है इसीलिए सरकार तो भारतीय जनता पार्टी की ही बनेगी। अब इस लड़ाई में बीजेपी को पागल करार दिया जा रहा है। बीजेपी को पागल बताने वाला और कोई नहीं बल्कि खुद शिवसेना है, वहीं शिवसेना जिससे कभी भाजपा की घनिष्ट मित्रता थी।
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने का रास्ता भले ही साफ होते जा रहा है, लेकिन शिवसेना को अभी भी भाजपा से डर बना हुआ है। एनसीपी और शिवसेना का कहना है कि राज्य में मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। वहीं अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी पर कई सवाल उठाए हैं। सामना में लिखा है कि महाराष्ट्र में नए समीकरण से कुछ लोगों के पेट में दर्द शुरू हो गया है। कौन वैसे सरकार बनाता है देखता हूं, इस प्रकार की भाषा बोले जा रहे हैं, श्राप भी दिए जा रहे हैं कि अगर सरकार बन भी गई तो वैसे और कितने दिन टिकेगी, देखते हैं। ऐसा ‘भविष्य’ भी बताया जा रहा है कि 6 महीने से ज्यादा सरकार नहीं टिकेगी। ये नया धंधा लाभदायक भले हो, लेकिन ये अंधश्रद्धा कानून का उल्लंघन है।
पागलपन की ओर 105 वालों लोग
सामना में आगे लिखा है कि अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए ये हरकत महाराष्ट्र के सामने आ रही है। हम महाराष्ट्र के मालिक हैं और देश के बाप हैं, ऐसा किसी को लगता होगा तो वे इस मानसिकता से बाहर आएं। ये मानसिक अवस्था 105 वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। ऐसी स्थिति ज्यादा समय रही तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा और पागलपन की ओर यात्रा शुरू हो जाएगी। कल आए नेता को जनता पागल या मूर्ख साबित करे ये हमें ठीक नहीं लगता। एक तो नरेंद्र मोदी जैसे नेता के नाम पर उनका खेल शुरू है और इसमें मोदी का ही नाम खराब हो रहा है। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद 105 वालों का आत्मविश्वास इस प्रकार झाग बनकर निकल रहा है मानो मुंबई किनारे के अरब सागर की लहरें उछाल मार रही हों।
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