महाराष्ट्र में फिर से मचा बबाल: शिवसेना को दी सरकार गिराने की धमकी, जानिए वजह

कांग्रेस नेतृत्‍व ने इसके लिए नाराजगी जताई थी और खबर तो यह भी आ रही है कि नाराज कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराने की धमकी दी थी.

महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी तथा कांग्रेस की ने मिलकर सरकार तो बना ली ,लेकिन तीनों राजनितिक पार्टियों की सोच एक बराबर नहीं होने के कारण अभी तक उनकी आपस में बन नहीं पाई है, जिसके कारण आये दिन कोई न कोई बबाल हो रहा है,दरअसल कांग्रेस लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने के लिए शिवसेना की आलोचना की है जिसके कारण दोनों ही पार्टियों में अनबन हो गई है।

कांग्रेस नेता मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने यहां जारी एक बयान में कहा की महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया है,लेकिन शिवसेना ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़ लिया है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर महाराष्ट्र के विकास के लिए भाजपा को सत्ता से दूर रखा गया है।

नागरिकता संशोधन बिल को लेकर शिवसेना और बसपा ने राज्यसभा में इसके बिल के खिलाफ वॉकआउट किया। राज्यसभा में शिवसेना का स्टैंड न तो सरकार के पक्ष में था तो विपक्ष के पक्ष था। लेकिन सदन से वॉकआउट कर उसने केन्द्र सरकार को एक तरह से मदद ही पहुंचाई। शिवसेना के इस बर्ताव से कांग्रेस नाराज़ है।

CAB पर ऐसे ही नहीं उद्धव ठाकरे ने लिया U-Turn, कांग्रेस ने दी थी सरकार गिराने की धमकी!

लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने वाली शिवसेना ने यूं ही पलटी नहीं मारी थी. दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्‍व ने इसके लिए नाराजगी जताई थी और खबर तो यह भी आ रही है कि नाराज कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराने की धमकी दी थी. कांग्रेस की ओर से कहा गया कि कुछ मंत्रालय हमारे लिए अहमियत नहीं रखते. इसके तत्‍काल बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था, कल जो लोकसभा में हुआ भूल जाइए, लेकिन देखना है कि राज्यसभा में शिवसेना क्या करती है.

संजय राउत के ट्वीट के बाद से ही कयास लगाए जाने लगे कि शिवसेना का नागरिकता संशोधन बिल को लेकर रुख साफ नहीं है और पार्टी अपना स्‍टैंड बदल भी सकती है और हुआ भी वहीं. दोपहर बाद महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि जब तक चीजें साफ नहीं हो जातीं, तब तक शिवसेना राज्‍यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर मोदी सरकार का साथ नहीं देगी. चीजें साफ होने से उद्धव ठाकरे का मतलब नागरिकता संशोधन बिल को लेकर शिवसेना की मांग मानने को लेकर था. दरअसल, शिवसेना ने बिल का समर्थन करते हुए लोकसभा में मांग की थी कि जिन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, उन्‍हें अगले 25 वर्षों तक वोटिंग का अधिकार न दिए जाएं.
उद्धव ठाकरे के बयान से ठीक पहले राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया था. राहुल गांधी ने मंगलवार को किए गए ट्वीट में कहा था, नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 भारतीय संविधान पर हमला है. जो कोई भी इसका समर्थन करता है, वह हमारे राष्ट्र की नींव को नष्ट करने का प्रयास कर रहा है. राहुल गांधी के ट्वीट को शिवसेना से नाराजगी के रूप में देखा गया और इसके ठीक बाद ही उद्धव ठाकरे का आधिकारिक बयान भी आ गया. उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में कहा कि शिवसेना नहीं चाहती कि इस तरह के फैसले के बाद किसी पार्टी को वोट बैंक की राजनीति करने का मौका मिले.

इस बीच शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा था, राष्ट्र हित की भूमिका लेकर शिवसेना हमेशा खड़ी रहती है और इस पर किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता है. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर सवाल भी उठाए गए थे. सामना में लिखा गया, क्या हिंदू अवैध शरणार्थियों की ‘चुनिंदा स्वीकृति’ देश में धार्मिक युद्ध छेड़ने का काम नहीं करेगी. यही नहीं, सामना में केंद्र की मोदी सरकार पर विधेयक को लेकर हिंदुओं तथा मुस्लिमों का ‘अदृश्य विभाजन’ करने का आरोप भी लगाया गया.

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