सतर्क रहें: मास्क पहनने से हो सकती है एलर्जी, कैसे पाएं इससे निजात!

नई दिल्ली। ठंड आने के साथ ही एक बार फिर से कोरोना महामारी की लहर चल पड़ी है। फिलहाल इसकी कोई पक्की दवा नहीं मिल सकी और वैक्सीन पर भी काम चल ही रहा है। ऐसे में मास्क लगाना और फिजिकल डिस्टेंसिंग को बचाव का तरीका माना जा रहा है। मास्क लगाना वायरस के खतरे को काफी हद तक कम करता है लेकिन ठंड में इसे पहनना कई तरह की एलर्जी भी दे रहा है।

मास्क पहनने पर आप उसके किसी हिस्से के लिए संवेदनशील हैं, इसका पता लगाना आसान है. मास्क पहनने के 10 से 15 मिनट के भीतर अगर आपको चेहरे पर सनसनाहट या जलन या फिर खुजली होने लगे तो आप उसके किसी मटेरियल के लिए संवेदनशील हैं. ऐसे में जांच के बाद सूती मास्क पहनना ही सुरक्षित रहेगा. साथ ही मास्क पहनते हुए ये ध्यान रखना चाहिए कि वो एकदम साफ हो वरना प्रदूषित तत्व नाक से होते हुए सीधे सांस में जाकर और बीमार कर सकते हैं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना से बचाव के तौर पर पहने जाने वाले मास्क में कई तरह के एलर्जी पैदा करने वाले तत्व होते हैं, जो त्वचा संक्रमण पैदा करते हैं। ऐसे लोगों की हालत और खराब हो जाती है, जिन्हें पहले से ही स्किन की कोई समस्या हो. अमेरिकन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा और इम्युनोलॉजी (ACAAI) की एक वर्चुअल मीटिंग में डॉक्टरों ने इस तरह की समस्याओं पर चर्चा की।

चर्म रोग विशेषज्ञ मान रहे हैं कि स्किन की समस्याएं, और खासकर चेहरे पर होने वाली समस्याएं इस साल तेजी से बढ़ी हैं, जिसकी सबसे अहम वजह है मास्क में होने वाले एलर्जेन। मास्क की इलास्टिक के कारण भी त्वचा में समस्या होती है। यही कारण है कि डॉक्टर ऐसे मास्क पहनने को कह रहे हैं, जिसमें इलास्टिक या रबर का कोई हिस्सा न हो। साथ ही साथ सिंथेटिक मास्क की बजाए सूती कपड़े के बने और बिना किसी डाई के तैयार मास्क पहनना एलर्जी से बचा सकता है। इसके बाद भी अगर किसी को मास्क से कारण एलर्जी हो जाए तो उसे इम्यूसप्रेसेंट खाने की जरूरत पड़ सकती है।

इससे पहले भी मास्क के कारण एलर्जी जैसे मामले देखे गए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में हुई इस स्टडी में देखा गया कि कई लोगों को लेटेक्स से एलर्जी होती है। ऐसे में जब वे लेटेक्स से बने हुए मास्क पहनते हैं तो उन्हें तुरंत कोई न कोई समस्या हो जाती है। बता दें कि इलास्टिक बनाने के लिए लेटेक्स का इस्तेमाल होता है। लिहाजा लेटेक्स के लिए संवेदनशील लोगों को इलास्टिक वाला मास्क न पहनने की सलाह दी जाती है।

मास्क पहनने पर आप उसके किसी हिस्से के लिए संवेदनशील हैं, इसका पता लगाना आसान है. मास्क पहनने के 10 से 15 मिनट के भीतर अगर आपको चेहरे पर सनसनाहट या जलन या फिर खुजली होने लगे तो आप उसके किसी मटेरियल के लिए संवेदनशील हैं। ऐसे में जांच के बाद सूती मास्क पहनना ही सुरक्षित रहेगा। साथ ही मास्क पहनते हुए ये ध्यान रखना चाहिए कि वो एकदम साफ हो वरना प्रदूषित तत्व नाक से होते हुए सीधे सांस में जाकर और बीमार कर सकते हैं।

वैसे कई मेडिकल कंडीशन ऐसी हैं, जिनमें मास्क पहनना काफी मुश्किल होता है. कई बार अस्थमा के मरीजों को भी फेस मास्क पहनने से परेशानी होती है। इस बारे में Asthma and Allergy Foundation of America (AAFA) के सदस्य डॉ डेविड स्टकस कहते हैं कि अगर किसी को अस्थमा की हल्की समस्या हो तो उसके लिए ये कोई मुसीबत नहीं लेकिन गंभीर लक्षण वाले लोगों के लिए ये जरूरी समस्या है। ऐसे में मास्क न पहन पाने पर अस्थमा मरीजों के बाहर न निकलना ही ठीक है। वहीं जिन्हें हल्के अस्थमा की शिकायत हो, वो कॉटन मास्क ही पहनें और उसे धूल-धुएं से बचाकर रखें।

अगर कोई क्रॉनिक पल्मोनरी बीमारी का शिकार हो या फिर ब्रॉन्काइटिस हो, तब भी मास्क पहनना काफी परेशानी दे सकता है। हालांकि इसके बाद भी डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मरीज को या तो बाहर नहीं निकलना चाहिए, या निकले तो हर हाल में मास्क होना चाहिए. चूंकि ये दोनों ही तकलीफें सीधे लंग्स से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में कोरोना का हल्का संक्रमण भी इस तरह के मरीज की जान खतरे में डाल सकता है।

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