विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने केंद्रीय श्रम मंत्री से मुलाकात करने के एक दिन बाद शुक्रवार को कहा कि वे केंद्र सरकार की श्रम नीतियों के खिलाफ आठ जनवरी को ‘भारत बंद’ के निर्णय पर कायम हैं।
दस श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘श्रम मंत्री के द्वारा बुलायी गयी बैठक के बाद केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इरादे पर टिके रहने की सहमति व्यक्त की हैं। आठ जनवरी को आम हड़ताल का निर्णय अटल है।’’
बयान में कहा गया, बैठक में मंत्री ने कहा था कि सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिये हरसंभव कदम उठा रही है और श्रम संहिता इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है। हालांकि एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी समेत श्रमिक संगठन इस बात पर टिके रहे कि श्रम संहिता श्रमिकों पर दासता थोपने के लिये तैयार किया जा रहा है।
मजदूर संघों के केन्द्रीय संगठन ने श्रम कानूनों को समय की जरूरतों के मुताबिक संशोधित करने की केन्द्र सरकार की प्रस्तावित पहल को नकारते हुये आगामी आठ जनवरी ने सभी संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। केन्द्रीय संगठन ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि दो जनवरी को केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार के साथ संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक में स्पष्ट हो गया कि सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘लेबर कोड’ के प्रावधानों को श्रमिकों को बंधुआ मजदूर बनाने वाला साबित होगा।
इसके विरोध में संगठन ने आठ जनवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। उल्लेखनीय है कि माकपा और भाकपा सहित अन्य वाम दलों ने भी सीएए और एनआरसी के विरोध में आठ जनवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
बयान के अनुसार श्रमिकों के केन्द्रीय संगठन में शामिल इंटक, एटक, सीटू और एलपीएफ सहित अन्य श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लिया। इसके अनुसार बैठक में श्रम मंत्री ने कहा कि भारत सरकार कामगारों के कल्याण के लिये हरसंभव कदम उठा रही है और लेबर कोड के तहत कानून में प्रस्तावित संशोधन इस कवायद का हिस्सा है।
बैठक में मंत्री के इस बयान का श्रमिक संगठनों ने विरोध करते हुये कहा कि पूरा लेबर कोड इस तरह से बनाया गया है, जिसके लागू होने पर श्रमिक बंधुआ मजदूर बन जायेंगे। यह श्रमिक संगठनों को मंजूर नहीं है। इसके विरोध में श्रमिक संगठनों ने पूरे देश में हड़ताल का आह्वान किया है।
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