मथुरा : मजबूरी और एक पत्नी के लिए पति की क्या अहमियत है, ये देखने को मिला मथुरा में, यहां कलेक्ट्रेट पर एक महिला अपने पति को पीठ पर उठाकर सीएमओ ऑफिस ले जाती दिखी, महिला यहां अपने पति का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आई थी ।
मथुरा कलेक्ट्रेट पर दिव्यांग पति को पीठ पर उठाकर ले जाती यह महिला है मथुरा की रहने वाली विमला, विमला के पति ट्रक ड्राइवर थे, लेकिन कुछ महीने पहले उनके पैर की नस बन्द हो गयी, जिसकी बजह से डॉक्टरों ने उनका एक पैर काटना पड़ा, सूरज की तपन और तेज गर्मी के बीच विमला अपने पति का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कलेक्ट्रेट स्थित सीएमओ कार्यालय पहुँची, लेकिन यहां उनको फ़ोटो खिंचवाने के लिए कहा गया, लेकिन दिव्यांग पति को ले जाने के लिए कोई ट्राय सायकल नहीं दी, जिसके बाद विमला ने अपने पति को पीठ पर उठाया और ले गईं फ़ोटो कराने दुकान पर, हालांकि विमला यह भी कहती है कि उन्होंने कभी ट्राई सायकल के लिए एप्लाई नहीं किया ।
दिव्यांग पति और बेबस पत्नी को देख कलेक्ट्रेट पर मौजूद हर कोई व्यक्ति इनको देखता और निकल जाता, लेकिन अगर नजर किशी की नहीं पड़ी तो वह है नौकरशाही, इस बारे में जब जनपद के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि इस तरह की तस्वीर सभ्य समाज के लिए दुःखद है ।
भले ही विमला ने अभी तक ट्राई सायकल के लिए सरकार से आवेदन न किया हो लेकिन समाज सेवा का ढिंढोरा पीटने वाली संस्था ने उससे ट्राई सायकल न होने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया । इस तस्वीर समाज के लिए वो बदनुमा दाग है जिसे हम दिखाना तो नहीं चाहते लेकिन हमारी मजबूरी है उन सोये हुए लोगों को जगाने के लिए जिनके कंधों पर इस तरह के मजबूर लोगों की मदद करने जिम्मेदारी है ।
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