महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब

नई दिल्ली। मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और सबके साथ नमाज़ अदा करने की आज़ादी के लिए दायर याचिका के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब​ किया है. पीठ ने पूछा कि क्या अनुच्छेद 14 का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्या मस्जिद और मंदिर सरकार के हैं, जैसे आपके घर में कोई आना चाहे तो आपकी इजाजत जरूरी है. कोर्ट ने पूछा कि सरकार इस मामले में कहां है?’
याचिका में समानता के मूल अधिकारों पर प्रवेश का अधिकार मांगा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि राज्य का अधिकार देने का कर्तव्य है, लेकिन क्या कोई व्यक्ति ( नॉन स्टेट एक्टर) संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दूसरे व्यक्ति से समानता का अधिकार मांग सकता है ?’
पीठ ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा कि क्या महिलाओं को मस्जिद में सबके साथ नमाज पढ़ने की इजाजत दे सकते हैं या नहीं.’ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सेंट्रल वक्फ काउंसिल और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, ‘हम इस मामले को सबरीमला की वजह से सुन रहे हैं.’
एक मुस्लिम दंपति ने मांग की है कि महिलाओं को भी मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की इजाजत मिले. इसको लेकर इन्होंने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी लगाई थी. अर्जी दाखिल करते हुए महिला ने अदालत से मांग की थी कि मस्जिदों में महिलाओं की एंट्री पर लगे बैन को गैरकानूनी और असंवैधानिक माना जाए. याचिकाकर्ता की दलील है कि ऐसा करना संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया कि कुरान और हदीस में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है. इस तरह की परंपरा महिलाओं की गरिमा के भी खिलाफ है. याचिका में कहा गया है कि पुरुषों की तरह महिलाओं का भी इबादत करने का संवैधानिक अधिकार है.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*