ब्रज भ्रमण: माधुर्य बिन माधुरी
माधुरी सखी का घरौंदा तिनके-तिनके बिखर गया। मालती वन की सुषमा पन्नों में रह गई। माधुरी है पर माधुर्य दूर-दूर तक नहीं। गांव की तस्वीर […]
माधुरी सखी का घरौंदा तिनके-तिनके बिखर गया। मालती वन की सुषमा पन्नों में रह गई। माधुरी है पर माधुर्य दूर-दूर तक नहीं। गांव की तस्वीर […]
ब्रजयात्रियौं! जे बताओ, गामन ते उकताय तौ नाय रहे। देखो भैया, हमायी कोशिश तो जे ही है कि ब्रज चौरासी कोस कौ कोऊ धाम नाय […]
“बरसाने कौ रस तौ लै लियौ, अब नंदगांव के नेह मै ऊ भीज लेओ। बितै लाली है तौ इतै लाला। नंद नंदन के आंगन मै […]
खंडहरों के बीच में बुलंदी से खड़ा खपाटिया का मुख्य द्वार कुछ व ज्यादा ही खूबसूरत लगता है। जयपुर शैली में बने इस द्वार ज […]
आमें सामें बैठि दोऊ, दोहत करत ठठोर। दूध धार मुख पर पड़त, दृग भये चंद्र चकोर।। “किशोर किशोरी के प्यार और दूध की फुहार मै […]
बाहर से छोटे और साधारण दिखते निम्बार्क कोट में अंदर कदम रखते ही असाधारण अनुभूति होती है। सादगी के सौंदर्य की सुगंध सम्मोहित कर देती […]
वृंदावन धाम की लुप्त लीला स्थलियों को प्रकट करने वाले गौरांग महाप्रभु की यूम तो यहां अनेक मूर्तियां हैं पर इस मूरत का माधुर्य ही […]
श्वेत भवन का श्यामल मन मोहन की धूनी रमाये रहता है। सात समंदर पार आए विदेशी ब्रज रंग हरे कृष्णा हरे कृष्णा भजते हैं। श्याम […]