ब्रज भ्रमण: साक्षी गोपाल को पुकार रही माटी
बरसों तक अपने ठाकुर के बिना सूना पड़ा सिसकता रहा। आंसुओं की नमी से दीवार दरकने लगीं। बेरहम वक्त के आगे इंतजार हार गया। साक्षी […]
बरसों तक अपने ठाकुर के बिना सूना पड़ा सिसकता रहा। आंसुओं की नमी से दीवार दरकने लगीं। बेरहम वक्त के आगे इंतजार हार गया। साक्षी […]
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