मथुरा। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती घोटाले की गाज पटल सहायक पर गिरी है। जनपदीय चयन समिति की संस्तुति पर बीएसए ने पटल सहायक को निलंबित कर खंड शिक्षाधिकारी फरह कार्यालय से संबद्ध कर दिया है। पूरे मामले में चयन समिति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मथुरा जनपद में परिषदीय स्कूलों में 216 पदों पर हुई नियुक्ति प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आ गया है। 23 अप्रैल को हुई काउंसलिंग में 185 शिक्षकों की नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। तीन दिनी जांच में 33 चयनित अभ्यर्थी चिह्नित किए गए थे। उनमें 25 शिक्षकों के अभिलेख संदिग्ध मिले हैं। इनको 21 मई तक का समय दिया जा चुका है। 7 चयनित शिक्षकों के अभिलेख अन्य जनपदों के थे। एक अभ्यर्थी ने दो जनपदों से आवेदन किया था। गौरतलब है कि चयनित सभी 185 शिक्षकों को विद्यालय भी आवंटित कर दिए गए थे। इन अध्यापकों ने अपनी ज्वाइनिंग भी खंड शिक्षाधिकारियों को विकास खंड पर दे दी थी। अधिकांश शिक्षकों ने अपने आवंटित किए विद्यालयों में शिक्षण कार्य भी शुरू कर दिया था।
बीएसए संजीव कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षक भर्ती प्रकरण में कुछ चयनित अभ्यार्थियों के दस्तावेज फर्जी मिलने के पीछे अब तक की जांच में पटल सहायक महेश शर्मा की संलिप्तता मिली। इसी पटल सहायक ने चयन समिति के समक्ष असत्य तथ्य प्रस्तुत किए थे। इसी आधार पर समिति ने काउंसिलिंग में इन अभ्यार्थियों को चयनित कर नियुक्ति पत्र निर्गत किए थे। पटल सहायक को निलंबित कर दिया गया है।
अब तक ये हुई कार्रवाई
उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, इलाहाबाद के निर्देश के विपरित सात अभ्यर्थी गैर जनपद के अभिलेखों पर नियुक्ति पत्र पा गए थे। इनके नियुक्ति पत्र निरस्त कर दिए गए। 22 अभ्यार्थियों को नियमों के विपरीत मदर लिस्ट में अंकित दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के विपरीत अंक पत्र/प्रमाणपत्र से काउंसलिंग की। इन पर भी कार्रवाई की गई है।एक चयनित अभ्यर्थी ने मथुरा और हाथरस जनपद से नियम विरुद्ध आवेदन कर दिया था। इसे भी निरस्त कर दिया गया है।
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