कानपुर कांड: मंदिर था इसलिए मिल गया, मस्जिदों के तो मौलाना तक गायब हैं

कानपुर कांड
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Opinion: मार्च 2020 की बात है जब निजामुद्दीन मरकज से निकले जमाती सुर्खियों में बने हुए थे! और मरकज के मौलाना साद अभी तक फरार है! अर्थात अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं! लेकिन एक और उज्जैन के महाकाल के मंदिर में गए कानपुर मामले के मास्टर माइंड विकास दुबे को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है! तो फर्क तो साफ देखा जा सकता है कि मंदिर और मस्जिदों में छुपे हुए अपराधियों के साथ कौन कितना भेदभाव करता है और कितना समर्थन करता है! हम आज आपको कुछ ऐसे ही तथ्यों से गुफ्तगू कराएंगे!

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मंदिर और मस्जिद का मामला

कानपुर मामले में आरोपी विकास दुबे जिन्होंने 8 पुलिसकर्मियों को मौ त के घाट उतार दिया था! जिसके बाद उनकी पूरे राज्य में तलाश शुरू हो गई थी! लेकिन आखिरकार वह पहुंचे मंदिर में, लेकिन मंदिर में किसी भी अपराधी के लिए कोई जगह नहीं! मंदिर में जैसे ही उन्होंने अपना नाम लिया तो मंदिर के गार्ड ने तुरंत पुलिस को फोन कर बुला लिया और विकास दुबे की गिरफ्तारी करवा दी! लेकिन वही बात करें मरकज की तो मरकाज में जमात इकट्ठा हुए थे ना तो किसी ने उनकी जानकारी दी और ना ही उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की गई! यहां तक की मरकज के मौलाना अभी तक गायब है! पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं!

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तो आपको यह साफ दिख जाएगा कि मंदिर में और मस्जिद में आखिरकार क्या फर्क है! मंदिर में अपराधियों को छुपाया नहीं जाता बल्कि मस्जिदों में छुपाया जाता है! अक्सर ही आपने खबर सुनी होगी कि मस्जिदों में इतने लोग अवैध पाए गए हैं! मस्जिदों से कितने लोगों की गिरफ्तारी हुई है! लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है किसी मंदिर से कोई अवैध पाया गया हो! मौलाना साद को छुपाना और विकास दुबे को पकड़ वाना यह साफ कर देता है कि कौन अपराधी को पनाह देता है और कौन उनको पकड़वा देता है!

सोशल मीडिया पर भी कुछ इसी तरह की बातें चल रही है!

दोनों सरकार में फर्क

कानपुर मामले में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है! योगी आदित्यनाथ की सरकार है! जैसे ही कानपुर मामला सामने आया तो योगी आदित्यनाथ ने शक्ति दिखाइ! उन्होंने कड़े से कड़े आदेश जारी किए! यहां तक कि इतना तक कह दिया था कि जब तक यह नहीं पकड़ा जाएगा कोई वापस नहीं जाएगा! जिसके चलते पुलिस को इतनी बड़ी कामयाबी मिली है क्योंकि अगर सरकार चाहे तो सब कुछ पॉसिबल है! लेकिन अगर वही बात करे निजामुद्दीन मरकज की, इतना बड़ा मामला होने के बावजूद भी दिल्ली की सरकार सोती रही!

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जिसके चलते रिजल्ट आया कि अभी तक मौलाना साद पुलिस की गिरफ्त से बाहर है! दिल्ली की सरकार ने योगी आदित्यनाथ की सरकार की तरह फैसले नहीं लिए! ना ही ऐसी कोई फोर्स कारवाही की जिससे एक अपराधी के अंदर डर पैदा हो जाए! तो यही यही फर्क है दोनों सरकार के अंदर, एक सरकार ने तुरंत कार्यवाही की और एक सरकार ने लापरवाही की! जिसके चलते विकास दुबे गिरफ्त में है और मौलाना साहब अभी भी बाहर आजाद घूम रहे हैं!

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