हरदा में विजयादशमी के मौके पर नेहरू स्टेडियम में 51 फीट के रावण के पुतले का दहन किया जाएगा. सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के तौर पर मनाए जाने वाले इस उत्सव में हर धर्म के लोग करते हैं शिरकत.
हरदा. मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार विजयादशमी मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा के आखिरी दिन विजयादशमी मनाई जाती है. इसी उपलक्ष्य में मंगलवार को बुराई के प्रतीक रावण का पुतला जलाया जाएगा. हरदा में भी विजयादशमी के मौके पर 51 फीट के रावण का पुतला जलाकर विजयादशमी मनाई जाएगी. हरदा में रावण दहन की परंपरा खास तरीके से मनाई जाती है, क्योंकि यहां रावण के पुतले का निर्माण एक मुस्लिम परिवार करता है. पिछले 50 साल से यह परिवार हिंदु धर्मावलंबियों के साथ मिलकर विजयादशमी का त्योहार मनाता रहा है. सांप्रदायिक सौहार्द की पहचान बनाए रखने के लिए इस साल भी हरदा में यह परंपरा बखूबी निभाई जाएगी. जिला प्रशासन द्वारा दशहरा पर कराए जाने वाला यह कार्यक्रम हरदा के नेहरू स्टेडियम में होगा.
सांप्रदायिक एकता की मिसाल
सांप्रदायिक सौहार्द और धर्म के नाम पर होने वाली बुराइयों को मिटाने के मकसद से शुरू की गई यह परंपरा, हरदा के दशहरा-उत्सव को खास बनाती है. हर साल शहर के खेड़ीपुरा मुहल्ले का रहने वाला मुस्लिम परिवार अपने अनूठे योगदान से इसे और विशिष्ट बना देता है. शेख जहूर खान और शेख सत्तार खान ने हरदा में 50 साल पहले रावण पुतला निर्माण की परंपरा शुरू की थी. आज इस परिवार की तीसरी पीढ़ी इस काम में जुटी है, लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं आई. हरदा के नेहरू स्टेडियम में पिछले 8 दिनों से रावण का पुतला बनाने में जुटे इस परिवार के सदस्यों को हिंदू धर्मावलंबियों का साथ भी मिलता है. इसलिए हरदा में दशहरे के त्योहार को सांप्रदायिक एकता की मिसाल के तौर पर देखा जाता है.
बुजुर्गों की सीख को निभा रही तीसरी पीढ़ी
हरदा में मंगलवार को रावण के जिस पुतले को जलाया जाएगा, उसके निर्माण में इन दिनों शेख जहूर और सत्तार के परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य शेख सलीम, शेख बबलू, शेख जफर, इक़बाल और शेख मुन्ना जुटे हुए हैं. इस काम में उनकी मदद के लिए इस बार परिवार की तीसरी पीढ़ी- सत्तार और जहूर भाई के पोते आयान खान भी मौजूद हैं. शेख बबलू ने बताया कि नगर पालिका द्वारा रावण का पुतला बनवाती है. इस काम में वे बांस की चिप, लोहे का सांचा और अमड़ी नाम के पौधे की रस्सी का इस्तेमाल करते हैं. बबलू ने बताया कि उन्होंने यह काम अपने पिता से सीखा था. इसी परिवार के अब्दुल सलीम का कहना है कि उनकी जितनी आस्था अल्लाह में है. उतना ही वे राम को भी मानते हैं. वहीं, नई पीढ़ी से आने वाले आयान का कहना है कि दादा के किए काम को आगे बढ़ाने में उनके मन को खुशी मिलती है.
मुस्लिम परिवार की तीसरी पीढ़ी भी रावण का पुतला बनाने के काम में उत्साह से जुटी हुई है.
नगरपालिका अध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने बताया कि हरदा में सिर्फ एक ही जगह रावण-दहन होता है. अन्य स्थानों की तरह अलग-अलग रावण जलाने की परंपरा यहां नहीं है. दशहरा महोत्सव में शहर के सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं. रावण-दहन के बाद एक-दूसरे को शमी के पेड़ की पत्तियां देकर विजयादशमी का उत्सव मनाते हैं. उन्होंने बताया कि हरदा का दशहरा महोत्सव हिंदू-मुस्लिम एकता की पहचान है. इसे कायम रखने के लिए नगर पालिका पुतला बनाने वाले मुस्लिम कारीगरों का कार्यक्रम के बाद सम्मान भी करती है. जैन ने कहा कि 2019 का दशहरा महोत्सव इसलिए भी खास हो गया है, क्योंकि इस बार नगर पालिका, हरदा को प्लास्टिक मुक्त रखने के अभियान की शुरुआत इसी मौके पर करने वाली है. विजयादशमी के दिन नगर पालिका द्वारा आमजन को कपड़े की थैलियों का वितरण किया जाएगा.
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