अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम तमांग में सेना का सामान ले जाने के दौरान दुर्घटना का शिकार हुए मथुरा निवासी सैनिक जीतू का पार्थिक शरीर करवा चौथ पर पैतृक गांव लाया गया। तिरंगे में लिपटे पति जीतू का शव पत्नी रेखा बेहोश हो गई। मां को रो-रोकर बुरा हाल हो गया। ग्रामीणों ने मांट से सैनिक के पैतृक गांव तक तिरंगा यात्रा निकाली। जीतू के अमर रहने के जयकारे लगे। सैनिक सम्मान के साथ ही उसका अंतिम संस्कार किया गया।
मांट क्षेत्र के गांव जैसवां निवासी जीतू चौधरी पुत्र स्वर्गीय महावीर सिंह सन 2013 में दिल्ली स्थित राज राइफल्स के मुख्यालय से सेना में भर्ती हुआ था। जीतू 14 राज राइफल्स में अरुणाचल के पश्चिम तमांग जिले में तैनात था। दो दिन पूर्व सेना का सामान लेकर जा रहे सेना के ट्रक का संतुलन बिगड़ जाने से ट्रक पलट गया था और उसमें जीतू चौधरी की मौत हो गई।
अरुणाचल से सेन्य कर्मी गुरुवार सुबह पांच बजे जीतू का शव लेकर मांट पहुंचे। सैनिक जीतू का शव जैसे ही घर पहुंचा, उनकी मां संतो देवी और पत्नी रेखा बेहोश हो गई। ग्रामीणों ने सैनिक जीतू के अंतिम दर्शन किए और मांट से जैसवां तक तिरंगा यात्रा निकाली। तिरंगा यात्रा में युवाओं ने भारत माता की जय, और जब तक सूरज चांद रहेगा जीतू तेरा नाम रहेगा के नारे लगाए।
दोपहर बाद गांव में सैनिक सम्मान के साथ जीतू का अंतिम संस्कार किया गया। जीतू के ढाई साल के बेटे आयुष ने अपने चाचा अजित की गोद से पिता को मुखाग्नि दी। कर्नल रमनीश पाल की टीम ने जीतू चौधरी की पत्नी रेखा को तिरंगा सौंपा। सैनिक जीतू चौधरी के अंतिम संस्कार के दौरान हर आंख नम थीं। इससे पूर्व ग्रामीणों ने यमुना एक्सप्रेसवे पर जाम लगाकर सैनिक जीतू को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग की।
ग्रामीणों ने बताया कि जीतू चौधरी अच्छा क्रिकेटर था। जब भी वो छुट्टी आता तो अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट जरूर खेलता था। इस खेल पर उसकी बेहतर पकड़ थी। साथ ही वह अपने दोस्तों को देश की सेवा के लिए प्रेरित करता था। जीतू आखिरी बार 27 सितंबर को गांव जैसवां में दो दिन की छुट्टी पर आया था। 29 सितंबर को वो वापस अरुणाचल चला गया। उसके दो बेटे हैं। 2015 में उसकी शादी यमुनापार के गांव सिहोरा निवासी रेखा से हुई थी।
जीतू व उसके पिता महावीर के साथ अजीब संयोग रहा है। जीतू के पिता महावीर सिंह भी सेना में थे। जीतू के चचेरे भाई सतेंद्र ने बताया कि 22 साल पहले जीतू के पिता सेना की राज राइफल्स से रिटायर हुए थे। इसके बाद उन्होंने गुजरात पुलिस में नौकरी कर ली। 17 साल पहले वह गुजरात के कच्छ में एक हादसे का शिकार हो गए थे।
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