नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन के निर्माण को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है. जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने मंगलवार को ये फैसला सुनाया. अब तक कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के काम पर रोक लगा रखा था. शीर्ष अदालत ने लैंड यूज चेंज करने के इल्जाम की वजह से सेंट्रल विस्टा की वैधता पर सवाल खड़े करने वाली याचिका को फिलहाल लंबित रखा है।
बेंच ने दो अलग-अलग फैसले दिए हैं. एक फैसला जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी का है. दूसरा फैसला जस्टिस संजीव खन्ना ने दिया।
कोर्ट ने पर्यावरण कमेटी की रिपोर्ट को भी नियमों को अनुरूप माना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी व अन्य अनुमति में कोई खामी नहीं है, ऐसे में सरकार अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर आगे बढ़ सकती है। अदालत ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी भी ली जाए।
प्रोजेक्ट में उठाए गए थे ये सवाल
दरअसल, केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थीै इन याचिकाओं में कहा गया कि बिना उचित कानून पारित किए इस परियोजना को शुरू किया गयौ इसके लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी कमियां हैं. हजारों करोड़ रुपये की यह योजना सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी हैै संसद और उसके आसपास की ऐतिहासिक इमारतों को इस परियोजना से नुकसान पहुंचने की आशंका हैै हालांकि, अदालत ने इनमें से कुछ दलीलों को खारिज करते हुए कुछ शर्तों के साथ सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी दे दी हैै।
सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर को सुरक्षित रखा था फैसला
सेंट्रल विस्टा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था। तब कोर्ट ने कहा था, हम इस दलील को खारिज करते हैं कि सेंट्रल विस्टा में कोई नया निर्माण नहीं हो सकता. विचार इस पहलू पर किया जाएगा कि क्या प्रोजेक्ट के लिए सभी कानूनी जरूरतों का पालन किया गया।
Supreme Court gives a go-ahead to the redevelopment plan of the Central Vista project https://t.co/8xRfwkqppN pic.twitter.com/SFmgAatQpi
— ANI (@ANI) January 5, 2021
7 दिसंबर को कोर्ट ने इस बात पर संज्ञान लिया कि उसका फैसला लंबित होने के बावजूद सरकार परियोजना का काम बढ़ा रही है। तब कोर्ट की नाराजगी के बाद केंद्र ने आश्वस्त किया कि फैसला आने से पहले न तो सेंट्रल विस्टा में कोई निर्माण होगा, न ही किसी पुरानी इमारत को गिराया जाएगा. इसके बाद कोर्ट ने 10 दिसंबर को होने वाले नए संसद भवन के शिलान्यास कार्यक्रम को मंजूरी दे दी थी. शिलान्यास के बाद से नए भवन का निर्माण रुका है. कोर्ट के फैसले से परियोजना का भविष्य तय होगा।
प्रधानमंत्री मोदी 10 दिसंबर को किया था नई संसद भवन का शिलान्यास
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद परिसर का निर्माण किया जाना है। इसमें 876 सीट वाली लोकसभा, 400 सीट वाली राज्यसभा और 1224 सीट वाला सेंट्रल हॉल बनाया जाएगा। 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास कर चुके हैं। नई संसद भवन के बनने के बाद संयुक्त बैठक के दौरान सदस्यों को अलग से कुर्सी लगा कर बैठाने की जरूरत खत्म हो जाएगी।
सेंट्रल विस्टा में एक दूसरे से जुड़ी 10 इमारतों में 51 मंत्रालय बनाए जाएंगे। अभी यह मंत्रालय एक-दूसरे से दूर 47 इमारतों से चल रहे हैं. मंत्रालयों को नजदीकी मेट्रो स्टेशन से जोड़ने के लिए भूमिगत मार्ग भी बनाया जाएगा. राष्ट्रपति भवन के नजदीक प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नया निवास भी बनाया जाएगा. अभी दोनों के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन से दूर हैं।
याचिकाओं पर सरकार का जवाब
याचिकाओं के जवाब में सरकार ने कहा है कि मौजूदा संसद भवन और मंत्रालय बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। नए सेंट्रल विस्टा का निर्माण करते हुए न सिर्फ पर्यावरण का ध्यान रखा जाएगा, बल्कि हेरिटेज इमारतों को नुकसान भी नहीं पहुंचाया जाएगा।
13,450 करोड़ रुपये का है पूरा प्रोजेक्ट
दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत संसद के नए परिसर, केंद्रीय मंत्रालयों के लिए सरकारी इमारतों, उपराष्ट्रपति के लिए नए इनक्लेव, प्रधानमंत्री के कार्यालय और आवास समेत अन्य निर्माण के लिए पहे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने 11,794 करोड़ रुपये का बजट रखा था. बाद में इसे बढ़ाकर 13,450 करोड़ रुपये कर दिया गया है. उम्मीद की जा रही है कि 2022 में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. आजादी के 75 वर्ष पूरा होने पर संसद सत्र नए भवन में ही चलेंगे।
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