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शैलेन्द्र दीक्षित
यूनिक समय, मथुरा। जिले में गिरते भूजल के स्तर को लेकर चिंतित सरकार की ओर से इंडो-जर्मन परियोजना के तहत आने वाले समय में भूजल के स्तर को सुधारने का कार्य किया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से जिले के कई इलाकों में भूजल स्तर लगातार घटता जा रहा है। अब पानी की एक-एक बूंद को सहेजने और गांव के पानी को गांव में रुकने की रिचार्ज व्यवस्था शुरू की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों मेंं पानी की कमी को दूर करने के लिए मनरेगा से पानी पहुंचाने का काम किया जाएगा। जर्मन सरकार के साथ मिलकर भारत सरकार जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम कर रही है। जल स्तर को सुधारने के लिए इंडो जर्मन परियोजना को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। जर्मन और भारत सरकार के इस संयुक्त प्रोजेक्ट के चलते देश में 5 राज्य इस परियोजना में शामिल किए गए हैं।
सबसे पहले शुरू हुए इस परियोजना के पायलट प्रोजेक्ट में तमिलनाडु के भूजल स्तर में काफी सुधार सामने आया है। अब यूपी के चार जिलों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस परियोजना के तहत झांसी, मथुरा, बाराबंकी और बरेली के तीन ब्लॉकों के 25 -25 गांव में काम किया जाएगा।
प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए इसमें मनरेगा को भी शामिल किया जाएगा इस प्रोजेक्ट के तहत गावों में सोकपिट टैंक बनाकर तालाब का पानी तालाब में रोकने के इंतजाम किए जाएगें। वाटर हार्वेस्टिंग की जा सकेगी। खेतों और गांवों के आसपास तालाबों का निर्माण हो सकेगा। लोगों को जागरूक कर पानी को देखते हुए ज्यादा पानी की जरूरत ना हो उन फसलों को किसानों को बोने के लिए प्रोत्साहन किया जाएगा। डीआरडीए के परियोजना अधिकारी बलराम सिंह का कहना है कि प्रोजेक्ट के तहत कई बिंदुओं पर डाटा तैयार किया जाएगा। एक- एक तालाब से कितना पानी रिचार्ज होता है। एक- एक ट्यूबवेल से कितने पानी का दोहन होता। नहर और नालों से कितनी सिंचाई होती है। घरों में कितना पानी रिचार्ज हो सकेगा। कौन सी फसल में कितना पानी खर्च होता है।
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