Delhi Elections 2020: दिल्ली में इन चार नेताओं ने विधानसभा चुनाव की बदली तस्वीर, ये बन सकते हैं मुख्यमंत्री

दिल्ली विधानसभा चुनाव का माहौल जिस प्रकार से गरमा रहा है, उसमें बिहारी नेताओं की भूमिका काफी अहम हो गई है. बिहार से दिल्ली जाकर चुनावी मैदान में अपनी दमदार उपस्थिति तमाम राजनीतिक दलों के नेता दिखा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड व राष्ट्रीय जनता दल के चेहरों ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अपनी दमदार उपस्थिति दिखाई है. दिल्ली की राजनीतिक तस्वीर बदलने में इन नेताओं की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. आइए जानते हैं किन चार नेताओं ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव की तस्वीर को बदलने की कोशिश की है…

नंबर 1 : नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली विधानसभा चुनाव की तस्वीर को बदलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इनके मैदान में उतरते ही दिल्ली की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। बिहारी वोटरों को लुभाने के लिए भाजपा ने जो दांव खेला है, वह सटीक बैठता दिख रहा है। नीतीश कुमार ने भी सीधे अरविंद केजरीवाल को निशाने पर आम आदमी पार्टी की सरकार के विकास के दावों की पोल खोली है। इसका असर पड़ना तय है।

नंबर 2 : मनोज तिवारी

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तस्वीर को बदलने में बड़ी भूमिका मनोज तिवारी की रही है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सत्तासीन अरविंद केजरीवाल की कुर्सी हिला दी है। उनकी चुनावी रणनीति ने तमाम आप के रणनीतिकारों को हिलाकर रखा हुआ है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अब तो हनुमान चालीसा का पाठ भी करने लगे हैं। इसके पीछे दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी की आक्रामक रणनीति को माना जा रहा है। अगर भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में आती है तो वे मुख्यमंत्री के उम्मीदवार बन सकते हैं।

नंबर 3 : गिरिराज सिंह

भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह लगातार दिल्ली विधानसभा के मैदान में प्रचार में जुटे हैं। कोई बड़ी रैली करने की जगह वे पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में बेगूसराय में उन्होंने इसी प्रकार से प्रचार किया था और चार लाख से अधिक अंतर से कन्हैया कुमार को हराया था। इस बार वे प्रचार अभियान को इसी प्रकार से करने के साथ-साथ सीएम केजरीवाल पर करारा हमला करने से भी नहीं चूक रहे हैं।

नंबर 4 : तेजस्वी यादव

दिल्ली विधानसभा चुनाव के मैदान में कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन किया है। ऐसे में गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में तेजस्वी यादव भी चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। तेजस्वी यादव अपने अलग ही अंदाज में चुनावी प्रचार कर रहे हैं। बाइक रैली व रोड शो को उन्होंने अपने प्रचार का हथियार बनाया है। वे भी दिल्ली के चुनावी मैदान में अलग ही रंग बिखेड़ रहे हैं। देखना होगा कि किस प्रकार से वे स्थिति को बदलने में कामयाब हो पाते हैं। अगर तेजस्वी व कांग्रेस ने वोट काटने में कामयाबी हासिल की तो यह आम आदमी पार्टी व भाजपा दोनों की टेंशन बढ़ा सकती है।

2015 के विधानसभा चुनाव में AAP को मिली थी बंपर जीत
गौरतलब हैं कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ‘आप’ ने सबको चौंकाते हुए 54.3 फीसदी वोट शेयर हासिल किए थे. मत प्रतिशत के मामले में बीजेपी 32.3 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर रही तो कांग्रेस का वोट शेयर 9.7 फीसदी पर आ गया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी केवल 18.1 फीसदी वोट पा सकी तो बीजेपी 56.5 फीसदी मत पाने में कामयाब रही. कांग्रेस के वोट शेयर में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और उसे 22.5 फीसदी वोट मिले.

जब 5 साल में दिल्ली को मिले 3 मुख्यमंत्री

दिल्ली में पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव हुए थे और उस समय बीजेपी ने जीत हासिल की थी. लेकिन 5 साल के कार्यकाल में बीजेपी को अपने 3 मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे. साहेब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज और मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे.

दिल्ली की सल्तनत पर बैठने के लिए हर पार्टी कमर कस कर चुनावी मैदान में उतर गई है और जनता को तमाम लुभावने वादें कर रही है. हालांकि अब ये चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा की देश की राजधानी की सत्ता पर दोबारा आम आदमी पार्टी (AAP) की वापसी होगी या फिर बीजेपी और कांग्रेस बैठेगी.

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