कोरोना टेस्ट किट बनाने में इस कंपनी को मिली बड़ी कामयाबी, दो घंटे में रिजल्ट

नई दिल्ली। सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ गेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी संस्थान को एक बड़ी कामयाबी मिली है। आईजीआईबी ने ऐसी कोरोना टेस्ट किट बनाई है जो 1.5 से दो घंटे में रिजल्ट दे देगी. वहीं इसकी कीमत इतनी कम 500 रुपये है कि हर आम आदमी इसे खरीद सकेगा. इस किट को पेपर बेस्ड टेस्ट नाम दिया गया है. किट को दो साइंटिस्ट और उनके 5 सदस्यों ने मिलकर बनाया है. अभी तक प्राइवेट लैब में कोरोना का टेस्ट कराने का खर्च सरकार की ओर से 4500 रुपये तय किया गया था. 100 सैंपल पर टेस्ट करने की अभी इस किट की एक और स्टेज बाकी है. अभी तक के नतीजे काफी अच्छे रहे हैं.

दो महीने में Crispr Cas9 टेक्नोलॉजी पर बनी है यह किट
आईजीआईबी के साइंटिस्ट डॉ. देबोज्योति चक्रव्रती और डॉ. सौबिक मैती ने बताया कि यह स्ट्रिप ठीक वैसे ही काम करती है जैसे घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है. इसकी स्ट्रिप पर एक मेम्ब्रेन होता है. यही नतीजे देता है. इस स्ट्रिप को बनाने में Crispr Cas9 टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. साइंटिस्ट का दावा है कि इस किट से किसी भी सामान्य लैब में कोरोना का टेस्ट किया जा सकता है. 2 महीने से 7 लोगों की टीम इसे बनाने में लगी हुई थी. अब जाकर कामयाबी मिली है. लेकिन टीम की कामयाबी अभी आखिरी स्टेज पर है. टीम को अगले दो हफ्ते में 100 सैम्पल पर और टेस्ट करने हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि टीम की अभी तक की कोशिशें कामयाब रही हैं. टीम में साइंटिस्ट के अलावा मोहम्मद अज़हर, रिदम, मनोज कुमार, असगर हुसैन और दीपांजलि सिन्हा हैं.

डीआरडीओ के बनाए एक वैंटीलेटर से मिलेगी 4 मरीजों को मदद
कोरोना वायरस से बचाव के लिए देश के अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी को दूर करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ आगे आया है. डीआरडीओ ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे एक वेंटिलेटर से एक बार में चार मरीजों को मदद दी जा सकेगी. डीआरडीओ के निदेशक का कहना है कि इसके लिए हम कोई नया वेंटिलेटर नहीं बना रहे हैं, बल्कि जो पहले से हैं, उन्हीं में कुछ संशोधन कर रहे हैं. इस तरह से कोरोना से पीड़ित किसी भी मरीज को वेंटिलेटर की कमी नहीं होने दी जाएगी. इसके अलावा डीआरडीओ 20 हजार पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट हर दिन बनाने की तैयारी में भी जुटा हुआ है।

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