“तमाम शहर का किस्सा बना दिया मुझको, मैं क्या था और ये कैसा बना दिया मुझको। कहां ये उम्र शराफत से कटा करती है, तुने बेकार में अच्छा बना दिया मुझको।” ये गजल किसी बड़े शायर या कवि ने नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के एक आला आईएएस अधिकारी ने लिखी है। जो फिलहाल उनपर ही सबसे मुफीद बैठती हैं। ये वही आईएएस अधिकारी हैं जिन्होंने सीएम योगी को 2007 में जेल में डाला था… जानिए उस अधिकारी के बारे में कई दिलचस्प बातें।
ढाई साल पहले यूपी में जब योगी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बनी थी इसे कुछ दिनों बाद ही प्रशासनिक अधिकारियों को तबादले किए गए थे। इनमें एक अधिकारी डॉ हरिओम भी थे। हालांकि उस वक्त इसे रुटीन ट्रांसफर ही कहा गया था। हरिओम ने ही 12 साल पहले वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ को जेल भेजा था। उस वक्त योगी गोरखपुर से सांसद थे। घटना 26 जनवरी 2007 की है, जब गोरखपुर में सांप्रादियक तनाव फैला हुआ और तत्कालीन सदर सांसद योगी ने गोरखपुर में धरने का ऐलान कर दिया था।
पूरे शहर में कर्फ्यू लगे होने की वजह से डीएम डॉ. हरिओम ने उन्हें गोरखपुर में घुसने से पहले ही रोक दिया था, लेकिन आदित्यनाथ अपनी जिद पर अड़े गए। जिसके बाद प्रशासन ने आखिरकार उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला किया। इस बारे में खुद तत्कालीन डीएम डॉ. हरिओम ने प्रेस को बताया था कि वो सांसद योगी को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे लेकिन योगी के दबाव के कारण ही उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा।
हरिओम ने तो ये भी जानकारी दी कि वो गिरफ्तारी के बाद योगी को सर्किट हाउस में ही रखना चाहते थे जहां आमतौर पर सांसदों या विधायकों को गिरफ्तारी के बाद रखा जाता है। लेकिन हरिओम का कहना है कि योगी ने ही उनसे जिद की कि उन्हें जेल में ही रखा जाए। इसके बाद गोरखपुर की जिला जेल में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ 11 दिन तक बंद रहे। जेल से रिहा होने के बाद जब योगी आदित्यनाथ पहली बार संसद पहुंचे तो वो अपनी गिरफ्तारी की बात बताते-बताते फफक कर रो पड़े।
योगी का संसद में दिया गया ये भाषण काफी चर्चा में रहा। इसी भाषण में योगी ने सवाल उठाया था कि कैसे किसी सांसद को 11 दिन तक जेल में रखा जा सकता है जबकि कानूनन किसी सांसद को 24 घंटे से ज्यादा नॉन क्रिमिनल ऑफेंस में जेल में नहीं रखा जा सकता। योगी ने इसी बहाने तत्कालीन यूपी सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि उन्हें अनावश्यक रूप से राजनीतिक निशाना बनाया जा रहा है।
हालांकि गिरफ्तारी के 24 घंटे के बाद ही डॉ. हरिओम को सरकार ने सस्पेंड कर दिया और उनकी जगह चार्ज संभालने के लिए उस समय सीतापुर के डीएम राकेश गोयल को रातों-रात हेलिकॉप्टर से गोरखपुर भेजा गया। इससे भी दिलचस्प ये है कि डॉ. हरिओम को सस्पेंशन के एक हफ्ते के भीतर ही वापस बहाल कर दिया गया। कहा जाता है कि इसके बाद हरिओम की नजदीकी अखिलेश और मुलायम यादव के नजदीकी बन गए।डॉ. हरिओम लेखन और गायन की वजह से भी अक्सर चर्चा में रहते हैं। यूट्यूब पर उनके लिखे और गाए गानों की एक लंबी लिस्ट है। वह कई किताबें जैसे धूप का परचम, अमरीका मेरी जान और कपास के अगले मौसम भी लिख चुके हैं। इसके अलावा हरिओम शेरो शायरी के भी शौकीन हैं। वो अपनी गजलों और कविताओं को मुशायरों में पेश भी कर चुके हैं।
डॉ. हरिओम के प्रशासनिक अनुभव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो यूपी के 11 जिलों (जैसे- कानपुर, गोरखपुर, मुरादाबाद, इलाहाबाद, सहारनपुर आदि) के डीएम रह चुके हैं। इसके अलावा हरिओम अखिलेश सरकार में चकबंदी आयोग के सचिव, पिछड़ा वर्ग सचिव, संस्कृति विभाग के सचिव और निदेशक भी रह चुके हैं। वेटिंग लिस्ट में डाले जाने से पहले तक वो संस्कृति विभाग के सचिव के तौर पर कार्यरत थे। अब सामान्य प्रशासन विभाग में सचिव हैं।
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